झारखंड की कोयला परियोजनाओं में टेरर फंडिंग मामले में हाइकोर्ट का बड़ा फैसला

Terro Funding, Jharkhand, Jharkhand High Court, Amrapali Coal Project, Magadh Coal Project, Chatra, Tandwa : रांची : झारखंड की दो कोयला परियोजनाओं में टेरर फंडिग के मामले में झारखंड हाइकोर्ट ने बुधवार (24 जून, 2020) को अपना फैसला सुना दिया. इस मामले में माननीय उच्च न्यायालय ने टेरर फंडिंग के आरोपी नक्सली बीरबल गंझू और उसके साथी ट्रांसपोर्टर सुदेश केडिया की जमानत अर्जी खारिज कर दी. इस मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) कर रही है. सुदेश केडिया रांची के रातू रोड में रहते हैं.

By Mithilesh Jha | June 24, 2020 3:58 PM

रांची : झारखंड की दो कोयला परियोजनाओं में टेरर फंडिग के मामले में झारखंड हाइकोर्ट ने बुधवार (24 जून, 2020) को अपना फैसला सुना दिया. इस मामले में माननीय उच्च न्यायालय ने टेरर फंडिंग के आरोपी नक्सली बीरबल गंझू और उसके साथी ट्रांसपोर्टर सुदेश केडिया की जमानत अर्जी खारिज कर दी. इस मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) कर रही है. सुदेश केडिया रांची के रातू रोड में रहते हैं.

दरअसल, चतरा जिला के टंडवा प्रखंड में स्थित मगध और आम्रपाली कोल परियोजनाओं पर टेरर फंडिंग के आरोप लगे थे. टंडवा थाना में वर्ष 2018 में एक केस दर्ज किया गया था, जिसे बाद में एनआइए ने टेकओवर किया. जांच शुरू की, तो मालूम हुआ कि सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल), चतरा जिला की स्थानीय पुलिस, उग्रवादी संगठन और शांति समिति की मिलीभगत से लेवी वसूली का एक गिरोह संचालित हो रहा है.

एनआइए ने सीसीएल के एक कर्मचारी सुभान खान सहित 14 आरोपियों के विरुद्ध चार्जशीट दाखिल की. इसमें एनआइए ने बताया कि उग्रवादी संगठन टीएसपीसी को लेवी देने के लिए ऊंची दर पर मगध व आम्रपाली कोल परियोजना से कोयला ढुलाई का ठेका लिया गया. टीएसपीसी के उग्रवादी आक्रमण जी की अनुशंसा पर ट्रांसपोर्टर सुधांशु रंजन उर्फ छोटू सिंह को ठेका मिला. ट्रांसपोर्टेशन से मिलने वाली राशि का एक बड़ा हिस्सा टीएसपीसी को मिलता था.

Also Read: झारखंड के पलामू में ग्रामीणों ने पुलिस टीम को बनाया बंधक, मारपीट का मामला सुलझाने पहुंची थी पुलिस

वर्ष 2018 में इस संबंध में केस दर्ज किया गया और जनवरी, 2020 में एनआइए ने पूर्वी सिंहभूम के मुसाबनी में रहने वाले अजय कुमार सिंह के साथ रांची के ट्रांसपोर्टर सुदेश केडिया को भी गिरफ्तार किया. तब सुदेश केडिया का नाम पहली बार टेरर फंडिंग के मामले में आया. जब पुलिस मामले की जांच कर रही थी, प्राथमिकी में केडिया का नाम नहीं था. लेकिन, एनआइए की जांच में लेवी वसूली की प्लानिंग अाैर बंटवारे में सक्रिय भूमिका निभाने का आरोप केडिया पर लगा.

टेरर फंडिंग मामले में 23 अगस्त, 2019 को सीसीएल कर्मी सुभान खान, आधुनिक पावर के जेनरल मैनेजर संजय जैन, ट्रांसपोर्टर सुधांशु रंजन उर्फ छोटू, प्रदीप राम, अजय सिंह भोक्ता, टीएसपीसी नक्सली बिंदेश्वर गंझू, विनोद गंझू, मुनेश गंझू व बीरबल गंझू के विरुद्ध आरोप तय किया गया था. एनआइए ने इस मामले में कुल 14 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था. ज्ञात हो कि सुदेश केडिया पांच साल से कोयला के कारोबार से जुड़े हैं.

Also Read: कसमार में सुखदेव गंझू हत्याकांड की सुलझी गुत्थी, जानिए हत्या के पीछे किसकी रही साजिश

Posted By : Mithilesh Jha

Next Article

Exit mobile version