झारखंड की मुख्य सचिव समेत चार अफसरों के खिलाफ नोटिस, निकाय चुनाव को लेकर हाईकोर्ट ने लगायी कड़ी फटकार
Jharkhand High Court Notice: झारखंड में नगर निगम और नगर निकायों का चुनाव नहीं कराने के मामले में हाईकोर्ट में दायर अवमानना याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई. झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने मुख्य सचिव अलका तिवारी, वंदना डाडेल, नगर विकास विभाग के तत्कालीन सचिव विनय कुमार चौबे और अपर सचिव ज्ञानेंद्र कुमार के खिलाफ नोटिस जारी किया. अदालत ने कहा कि इनके खिलाफ अब आरोप गठित किया जाएगा.
Jharkhand High Court Notice: रांची, राणा प्रताप-झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने राज्य में नगर निगम और नगर निकायों का चुनाव नहीं कराने के मामले में दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने आदेश का पालन नहीं करने पर कड़ी फटकार लगायी. अदालत ने झारखंड हाईकोर्ट रूल-393 के तहत मुख्य सचिव अलका तिवारी, वंदना डाडेल, नगर विकास विभाग के तत्कालीन सचिव विनय कुमार चौबे और अपर सचिव ज्ञानेंद्र कुमार के खिलाफ नोटिस जारी किया. अदालत ने अगली सुनवाई के दौरान सभी अधिकारियों को सशरीर हाजिर होने का निर्देश दिया है. अदालत ने कहा कि इनके खिलाफ अब आरोप गठित किया जाएगा. मामले की अगली सुनवाई के लिए अदालत ने 14 अक्तूबर की तिथि निर्धारित की है. मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव अलका तिवारी अदालत में सशरीर उपस्थित थीं.
जानबूझ कर चुनाव कराने में की जा रही देरी-हाईकोर्ट
अदालत ने पूछा कि चार जनवरी 2024 के आदेश के तहत तीन सप्ताह में नगर निगम व नगर निकाय चुनाव कराने की बात थी, उसका पालन क्यों नहीं किया गया? नगर निकाय चुनाव क्यों नहीं कराया गया? अदालत ने सख्त रूख अपनाते हुए कहा कि लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है. कानून के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. चुनाव कराने में जानबूझ कर देरी की जा रही है. मुख्य सचिव की ओर से 13 जनवरी 2025 को चार माह के भीतर चुनाव कराने लेने संबंधी अंडरटेकिंग दी गयी थी, लेकिन अब तक चुनाव नहीं हुए. बार-बार समय लेकर भी राज्य सरकार द्वारा चुनाव नहीं कराया गया. इसके बाद 18 जुलाई तथा दो सितंबर को हुई सुनवाई में भी राज्य सरकार की ओर से केवल समय मांगा जाता रहा, लेकिन चुनाव की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी. समय लेकर टालमटोल किया जाता रहा. यह कार्यशैली जानबूझ कर आदेश की अवमानना करने जैसी है.
हाईकोर्ट में दायर की गयी है अवमानना याचिका
इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने पैरवी की. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए बताया कि उसके कारण भ्रम की स्थिति बनी, लेकिन अब चुनाव कराने की तैयारी की जा रही है. ट्रिपल टेस्ट भी कराया जा चुका है. उपस्थित अधिकारियों ने अदालत से क्षमा याचना करते हुए नोटिस जारी न करने आग्रह किया. हालांकि अदालत ने यह दलील खारिज कर दी. प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता विनोद सिंह ने पक्ष रखा. प्रार्थी रौशनी खलखो व रीना कुमारी की ओर से अवमानना याचिका दायर की गयी है. उन्होंने नगर निगम व नगर निकाय चुनाव कराने के अदालत के आदेश का अनुपालन कराने की मांग की है.
क्या है मामला?
झारखंड में वर्ष 2020 के जून से 12 शहरी निकायों में चुनाव नहीं हुआ है. कई नगर निगम का संचालन बिना चुनाव कराये किया जा रहा है. राज्य में 27 अप्रैल 2023 के बाद से कोई चुनाव नहीं हुआ है. अदालत ने याचिका संख्या 1923/2023 व 2290/2023 में चार जनवरी 2024 को आदेश पारित कर तीन सप्ताह में नगर निकाय चुनाव कराने का निर्देश दिया था. पूर्व की सुनवाई में अदालत ने कड़ी टिप्पणी की थी कि राज्य द्वारा अदालत के आदेश का पालन न करके, खासकर जब वह अंतिम रूप ले चुका है, कानून के शासन को भी खतरे में डाला गया है. यह अवज्ञा के अलावा और कुछ नहीं है. ये सब पूरी तरह से राज्य कार्यपालिका के कारण है, जो इसके लिए विशेष रूप से दोषी है.
ये भी पढ़ें: सियाचिन में शहीद अग्निवीर नीरज कुमार चौधरी का पार्थिव शरीर पहुंचा रांची, झारखंड के राज्यपाल और सीएम ने दी श्रद्धांजलि
