रिम्स में बेहतर इलाज मामले में दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट ने क्या दिया निर्देश?
Jharkhand High Court: रिम्स में मरीजों के बेहतर इलाज के मामले में जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई. झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार और रिम्स का पक्ष सुना. इसके बाद रिम्स की शासी निकाय की बैठक की रिपोर्ट शपथ पत्र में दायर करने का निर्देश दिया. इस मामले की अगली सुनवाई 10 अक्टूबर को होगी.
Jharkhand High Court: रांची, राणा प्रताप-झारखंड हाईकोर्ट ने रिम्स में मरीजों के बेहतर इलाज और बुनियादी सुविधाओं को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई की. चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार और रिम्स का पक्ष सुना. खंडपीठ ने रिम्स शासी निकाय की बैठक में लिए गए निर्णयों से संबंधित रिपोर्ट को शपथ पत्र में दायर करने को कहा. इसके लिए राज्य सरकार और रिम्स के समय देने के आग्रह को स्वीकार करते हुए उन्हें समय दिया गया. इस मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 10 अक्टूबर की तिथि निर्धारित की.
रिपोर्ट शपथ पत्र में देने का निर्देश
इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से बैठक से संबंधित रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष पेश किया गया, जिसे शपथ पत्र में देने को कहा गया. यह भी बताया गया कि कोर्ट के आदेश के आलोक में हाईकोर्ट के रिटायर जस्टिस की देखरेख में रिम्स शासी निकाय की बैठक हुई. इसमें तीन अधिवक्ताओं की रिपोर्ट सहित अन्य एजेंडे पर विचार-विमर्श कर कई निर्णय लिए गए हैं. रिम्स की ओर से अधिवक्ता डॉ अशोक कुमार सिंह ने शपथ पत्र दायर करने के लिए समय देने का आग्रह किया. प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता दीपक कुमार दुबे ने पैरवी की.
रिम्स मामले में दायर है जनहित याचिका
रिम्स में इलाज की दयनीय स्थिति को झारखंड हाईकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था. प्रार्थी ज्योति शर्मा की ओर से भी जनहित याचिका दायर कर रिम्स की व्यवस्था बेहतर बनाने की मांग की गयी है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने रिम्स शासी निकाय की प्रस्तावित बैठक आठ सितंबर से 14 सितंबर के बीच बुलाने को कहा था. बैठक में जो निर्णय लिये जायेंगे, उन निर्णयों से कोर्ट को अवगत कराने को भी कहा गया था. कोर्ट ने निदेशक को रिम्स के वैसे चिकित्सकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया था, जो एनपीए लेकर प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे हैं. रिम्स के सभी ऑडिट रिपोर्ट को कोर्ट में प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया गया था.
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