आदिवासी महिलाओं की वीरता की याद दिलाता है जनी शिकार उत्सव, असम में बोलीं झारखंड की मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की

Jani Shikar Festival: झारखंड की कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने असम के डिब्रूगढ़ में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि जनी शिकार उत्सव आदिवासी महिलाओं की वीरता की याद दिलाता है. इस आयोजन में महिलाएं पुरुषों के वस्त्र पहनकर शिकार के लिए निकलती हैं. उरांव जनजाति द्वारा हर 12 साल पर यह उत्सव मनाया जाता है.

By Guru Swarup Mishra | August 31, 2025 6:36 PM

Jani Shikar Festival: रांची-झारखंड की कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की असम के डिब्रूगढ़ जिला पुस्तकालय सभागार में आयोजित जनी शिकार उत्सव-2025 में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुईं. मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि जनी शिकार उरांव जनजाति द्वारा हर 12 साल पर मनाया जानेवाला पारंपरिक उत्सव है, जो मुगलों के खिलाफ आदिवासी महिलाओं की रोहतासगढ़ किले की जीत की याद दिलाता है. इस आयोजन में महिलाएं पुरुषों के वस्त्र पहनकर शिकार के लिए निकलती हैं. ये महिलाओं की वीरता और साहस को प्रदर्शित करता है. उन्होंने कहा कि AAWAA ने 2025 से एक ऐसी परंपरा की शुरुआत की है जो वर्षों से चली आ रही है.

वनवासी कहने की हो रही राजनीति-शिल्पी नेहा तिर्की


मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि 200 साल पुराने शोषण का दर्द असम के आदिवासी समाज से जुड़ा है. टी ट्राइब्स राज्य में लचर स्वास्थ्य व्यवस्था, बच्चों की शिक्षा, कम वेतन पर ज्यादा काम करने की मजबूरी और सबसे ज्यादा जरूरी ST की सूची में अपना नाम दर्ज कराने के दर्द से जूझ रही है. महिला सशक्तीकरण की दिशा में पिछले 200 साल से संघर्ष चल रहा है . इस संघर्ष को मुकाम तक पहुंचाने के लिए हम सभी उनके साथ हैं. उन्होंने कहा कि इस धरती पर सबसे पहले बसने वाला कोई व्यक्ति या समाज है तो वो आदिवासी समाज है, लेकिन आदिवासियों को सोची समझी साजिश के तहत वनवासी कहने की राजनीति होती है.

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संविधान बदलने का हो रहा षडयंत्र-मंत्री


मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि 2014 के बाद से संविधान बदलने का षडयंत्र चल रहा है. संविधान जो हम सबको जीने, रहने, बोलने, पढ़ने और लिखने की आजादी देता है, लेकिन केंद्र में बैठी बीजेपी सरकार लोगों से इस अधिकार को छीनना चाहती है. देश के राष्ट्रपति से लेकर गांव के किसान तक को वोट देने का संवैधानिक अधिकार है. आज बिहार में 65 लाख लोगों से उनका वोट देने का अधिकार छीन लिया गया. ये समय खामोश रहने का नहीं, बल्कि संविधान की हकमारी के खिलाफ आवाज बुलंद करने का है.

डॉ सोनाझरिया मिंज भी हुईं शामिल


ऑल आदिवासी वीमेंस एसोसिएशन ऑफ असम एवं ऑल आदिवासी स्टूडेंट एसोसिएशन ऑफ असम के संयुक्त तत्वावधान में इस उत्सव का आयोजन किया गया. यूनेस्को की को-चेयरपर्सन डॉ सोनाझरिया मिंज समेत अन्य गणमान्य इस उत्सव में शामिल हुए.

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