Ranchi News : सरकार की वादाखिलाफी के खिलाफ जनाधिकार महासभा ने दिया धरना
झारखंड जनाधिकार महासभा के तत्वावधान में सरकार की वादाखिलाफी के विरोध में राजभवन के समक्ष धरना दिया गया.
रांची. झारखंड जनाधिकार महासभा के तत्वावधान में सरकार की वादाखिलाफी के विरोध में राजभवन के समक्ष धरना दिया गया. धरना में राज्य के सभी जिलों से बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया. उन्होंने कहा कि झामुमो, कांग्रेस और राजद गठबंधन ने चुनाव के समय जनता से जो वायदे किये थे, उन्हें पूरा नहीं किया गया है.
फिर से मुद्दों को लेकर करना पड़ रहा आंदोलन
मौके पर सामाजिक कार्यकर्ता एलीना होरो ने कहा कि 2024 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन दलों ने जल, जंगल, जमीन, पहचान और स्वशासन से संबंधित कई वायदे किये थे. लेकिन आज फिर से उन्हीं मुद्दों को लेकर लोग सड़क पर आंदोलन करने के लिए मजबूर हैं. आलोका कुजूर ने कहा कि चुनाव में आदिवासी-मूलवासियों ने इस अपेक्षा के साथ गठबंधन सरकार को चुना था कि जन मुद्दों पर कार्रवाई होगी, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. कई मामलों में तो सरकार ने झारखंडी हित के विपरीत फैसले लिये हैं. यह आदिवासी-मूलवासियों के साथ धोखा है.
आज तक लैंडबैंक रद्द नहीं किया गया
मौके पर डेमका सोय ने कहा कि रघुवर सरकार ने राज्य की 22 लाख एकड़ गैर-मजरुआ व सामुदायिक ज़मीन को लैंड बैंक में डाल दिया था. मौजूदा गठबंधन सरकार ने इसे रद्द करने की बात कही थी, पर वादा करने के बाद भी आज तक लैंडबैंक रद्द नहीं किया गया. बासिंग हेस्सा ने कहा कि पेसा लागू करने के प्रति हेमंत सोरेन सरकार की उदासीनता से साफ़ झलकता है कि सरकार आदिवासी-मूलवासियों के लिए अबुआ राज की स्थापना नहीं करना चाहती है. श्यामल मार्डी ने कहा कि चांडिल बांध की नीलामी बाहरी लोगों को कर दी गयी है. इस मौके पर अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित किया. धरना के दौरान महासभा ने ज्ञापन के माध्यम से सरकार से भूमि अधिग्रहण संशोधन कानून (2017) और लैंड बैंक नीति को रद्द करने सहित अन्य मांगों पर तुरंत कार्रवाई करने की बात कही है. धरना में रिया तूलिका पिंगुआ, दिनेश मुर्मू, अंगद महतो, अजय उरांव, अनिल हंसदा, अमीनता उरांव और वीरेंद्र भगत सहित अन्य वक्ताओं ने बात रखी.
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