Ranchi news: मेडिकल कैडर के सभी चिकित्सकों को डीएसीपी योजना का लाभ देने का निर्देश
जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने दायर याचिकाओं पर की सुनवाई की
जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने दायर याचिकाओं पर की सुनवाई की
रांची. झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने गतिशील सुनिश्चित कैरियर प्रगति (डीएसीपी) योजना के लाभ को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई की. अदालत ने प्रार्थी व सरकार का पक्ष सुनने के बाद राज्य सरकार को आठ सप्ताह के भीतर चिकित्सकों को डीएसीपी योजना का लाभ प्रदान करने का निर्देश दिया. अदालत ने समान वर्ग में समानता की अवधारणा को बरकरार रखते हुए योजना का लाभ प्रदान करने का निर्देश दिया. अदालत ने फैसला सुनाया कि यह कानून का एक सिद्धांत है कि जब किसी मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय तक निर्णय हो चुका हो और उसकी पुष्टि हो चुकी हो, तो समान स्थितिवाले व्यक्ति, जो उसी वर्ग में आते हैं, को समान लाभ दिया जाना चाहिए, भले ही उन्होंने अदालत में कोई मुकदमा दायर किया हो या नहीं. इससे पूर्व चिकित्सकों की ओर से अधिवक्ता देबोलीना सेन हिरानी व कश्यपी ने अदालत को बताया कि प्रार्थियों ने पहले अदालत का रुख नहीं किया था, इसलिए उन्हें इन लाभों से वंचित कर दिया गया है. प्रार्थियों ने जिन लाभों का दावा किया है, वह अन्य चिकित्सकों को मिल रहा है. इसलिए उन्हें भी इसका लाभ मिलना चाहिए. वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि चूंकि प्रार्थियों ने पहले किसी राहत का दावा करते हुए हाइकोर्ट में याचिका दायर नहीं की थी, इसलिए उन्हें वे लाभ नहीं दिये जा सकते, जिनका उन्होंने दावा किया है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी राजेश कुमार सहित 52 चिकित्सकों ने याचिका दायर की थी.
क्या है मामलाडीएसीपी योजना सरकार द्वारा शुरू की गयी थी और इसे चिकित्सा संवर्ग के सभी व्यक्तियों तक विस्तारित किया गया था. सरकार द्वारा अंतिम तिथि निर्धारित की गयी थी, जिसे संशोधित कर एक सितंबर 2008 कर दिया गया था. इससे पहले यह योजना पांच अप्रैल 2002 से प्रभावी थी और डीएसीपी का लाभ अप्रैल 2002 से प्रभावी और वित्तीय लाभ एक अप्रैल 2009 से प्रदान किया गया. इसके बाद सरकार ने 15 जनवरी 2014 को एक अधिसूचना जारी की, जिसके द्वारा चिकित्सा संवर्ग के सदस्यों को पूर्व में दिये गये डीएसीपी लाभ वापस ले लिया गया. प्रभावित चिकित्सकों ने हाइकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी. दो अगस्त 2023 को खंडपीठ ने कहा कि सरकार द्वारा तिथि में बदलाव अनुचित था. सरकार ने आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, जो खारिज कर दी गयी थी.
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