Indian Railways : झारखंड के इस रूट में अब नहीं होंगे रेल हादसे! जानें ऐसा क्यों

Indian Railways : पूर्व-मध्य रेल के 2200 रूट किमी पर कवच लगेगा. 1822 करोड़ की परियोजना को केंद्र की मंजूरी मिली है. इस परियोजना की लागत 27,693 करोड़ रुपये होगी.

By Amitabh Kumar | December 13, 2025 4:14 AM

Indian Railways : केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पूर्व-मध्य रेल के शेष मार्गों पर स्वदेशी सुरक्षा प्रणाली कवच लगाने की बड़ी परियोजना को मंजूरी दे दी है. यह स्वीकृति न केवल रेलवे सुरक्षा को नयी दिशा देगी, बल्कि पूर्व-मध्य रेल को देश के सबसे सुरक्षित रेल जोन की श्रेणी में भी खड़ा करेगी. अंब्रेला वर्क 2024-25 के तहत स्वीकृत इस परियोजना की कुल लागत 27,693 करोड़ रुपये है. इसमें से 1822 करोड़ रुपये की सब अंब्रेला वर्क राशि विशेष रूप से पूर्व-मध्य रेल के लिए निर्धारित की गयी है. इस फंड से जोन के सभी महत्वपूर्ण और शेष रेल रूटों पर अत्याधुनिक कवच प्रणाली स्थापित की जायेगी. रेलवे ने पूर्व-मध्य रेल में कुल 2200 रूट किलोमीटर पर कवच लगाने का लक्ष्य रखा है.

झारखंड के धनबाद रेल मंडल के अलावा इन रूटों की ट्रेन होंगी सुरक्षित

कवच लगने से झारखंड के धनबाद रेल मंडल के अलावा दानापुर, मुगलसराय, समस्तीपुर, सोनपुर जैसे व्यस्त और महत्वपूर्ण रूटों पर ट्रेन संचालन पहले की तुलना में और अधिक सुरक्षित व सुव्यवस्थित हो जायेगा. इस तकनीक के आने से रेल ट्रैफिक घनत्व वाले क्षेत्रों में हादसों की संभावना लगभग समाप्त हो जायेगी. कवच भारतीय रेलवे द्वारा विकसित एक स्वदेशी ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है, जो ट्रेन टक्कर रोकने, गति नियंत्रण करने, सिग्नल पासिंग की गलतियों को रोकने और आपात स्थितियों में स्वचालित ब्रेक लगाने की क्षमता रखता है. घनी आबादी और उच्च ट्रैफिक वाले पूर्व-मध्य रेल जोन में इसकी उपयोगिता और बढ़ जाती है. हाजीपुर जोन के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सरस्वती चंद्र के अनुसार, कवच लगने से आगामी महीनों में रेलवे की सुरक्षा प्रणाली अधिक मजबूत होगी. इसके साथ ही मालगाड़ियों और यात्री ट्रेनों की गति, समयबद्धता और संचालन क्षमता में भी बड़ा सुधार देखने को मिलेगा. कवच के प्रयोग से रेल संचालन तकनीक अधिक स्मार्ट, आधुनिक और भरोसेमंद बनेगी.

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जानें क्या है रूट किलोमीटर

रेलवे में रूट किलोमीटर किसी भी रेल मार्ग की एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक की कुल वास्तविक लंबाई को कहा जाता है. यह संख्या इस बात से नहीं बदलती कि उस रूट पर सिंगल लाइन है, डबल लाइन है या मल्टी लाइन. उदाहरण के लिए पटना से गया के बीच दूरी 100 किमी है, तो रूट किलोमीटर भी 100 किमी ही मानी जायेगी. रेलवे में नेटवर्क विस्तार, सुरक्षा योजना, नयी तकनीक (जैसे कवच) स्थापना और परियोजना लागत तय करने में रूट किलोमीटर का उपयोग सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है.