political news : घाटशिला उपचुनाव : झामुमो के लिए विरासत बचाने की चुनौती, भाजपा से चंपाई की साख दांव पर
क्षेत्र में बिछने लगी चुनावी बिसात. झामुमो से रामदास के बेटे सोमेश तय, भाजपा से चंपाई के बेटे बाबूलाल सोरेन की दावेदारी.
रांची.
शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के निधन के बाद खाली हुई घाटशिला सीट पर चुनावी बिसात बिछ रही है. झामुमो के लिए इस सीट पर अपनी विरासत बचाने की चुनौती है. वहीं, इस सीट पर पूर्व सीएम और भाजपा नेता चंपाई सोरेन की भी साख फंसी है. झामुमो इस सीट पर रामदास सोरेन के पुत्र सोमेश सोरेन को उतारने की तैयारी कर रही है. सोमेश भी अब क्षेत्र में चुनावी माहौल बनाने में जुट गये हैं. वह पहले भी राजनीतिक रूप से अपने पिता की मदद में जुटे रहते थे. कार्यकर्ताओं से वह पूर्व परिचित हैं. ऐसे में क्षेत्र में पार्टी कार्यकर्ताओं व नेताओं के समन्वय बनाने में परेशानी नहीं होगी. घाटशिला विधानसभा उपचुनाव में झामुमो सहानुभूति लहर पर सवार होगा. उधर, भाजपा के अंदर भी तस्वीर साफ है. पिछले विधानसभा चुनाव में झामुमो के खिलाफ भाजपा ने चंपाई सोरेन के पुत्र बाबूलाल सोरेन को उम्मीदवार बनाया था. बाबूलाल सोरेन ने रामदास सोरेन को टक्कर दी थी. चंपाई सोरेन भी अपने बेटे के लिए पूरी फील्डिंग कर रहे हैं. वह घाटशिला में लोगों को गोलबंद करने में जुटे हैं.मंत्री बनाकर सोमेश का कद बढ़ा सकता है झामुमो
रामदास सोरेन के निधन के बाद कैबिनेट में एक सीट खाली हुई है. राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि झामुमो सोमेश को मंत्री पद देकर उनका कद बढ़ा सकता है. झामुमो इससे क्षेत्र के लोगों को एक मैसेज देने की कोशिश करेगा. चुनावी मैदान में इससे सोमेश को फायदा हो सकता है. वहीं, भाजपा के पास 27 आदिवासी सीटों में से सिर्फ एक सीट फिलहाल कोल्हान में ही है. सरायकेला से चंपाई सोरेन ही जीत पाये थे.पार्टियों के पास जमीन तैयार करने के लिए जनवरी तक का समय
15 अगस्त को शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन का निधन हुआ था. घाटशिला की सीट पर जनवरी तक चुनाव कराये जाने की बाध्यता होगी. चुनाव आयोग छह महीने से ज्यादा के लिए सीट खाली नहीं छोड़ सकता है. हालांकि, आयोग ने उपचुनाव की तैयारी शुरू कर दी है. मतदाता पुनरीक्षण का काम पूरा किया गया है.
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