Birsa Zoo News : मादा जिराफ मिष्टी बढ़ायेगी बिरसा जू की रौनक, नर भी जल्द ही आयेगा
ओरमांझी के चकला स्थित भगवान बिरसा जैविक उद्यान में तीन नये मेहमान आये हैं. इनमें से एक उत्तरी मादा जिराफ और सिल्वर फीजेंट का जोड़ा शामिल हैं.
रांची/ओरमांझी. ओरमांझी के चकला स्थित भगवान बिरसा जैविक उद्यान में तीन नये मेहमान आये हैं. इनमें से एक उत्तरी मादा जिराफ और सिल्वर फीजेंट का जोड़ा शामिल हैं. मादा जिराफ का नाम ‘मिष्टी’ है और इसकी उम्र छह साल है. जल्द ही एक नर जिराफ भी यहां आनेवाला है. भगवान बिरसा जैविक उद्यान और कोलकाता के अलीपुर स्थित वन्य प्राणी उद्यान के बीच इसी साल अगस्त में हुए जीव आदान-प्रदान कार्यक्रम के तहत ये जीव यहां आ रहे हैं. बदले में अलीपुर वन्य प्राणी उद्यान को शुतुरमुर्ग भेजा गया है. जल्द ही यहां से दरियाई घोड़ा, हिमालयन काला भालू और घड़ियाल भी भेजे जायेंगे.
इसी साल अगस्त में रांची और कोलकाताल के चिड़ियाघर के बची तय हुआ था जीव आदान-प्रदान कार्यक्रम
जैविक उद्यान के निदेशक जब्बर सिंह ने कहा कि जीवों का यह आदान-प्रदान दोनों संस्थानों के बीच सहयोग का उदाहरण है. साथ ही यह वन्यजीव संरक्षण एवं आगंतुकों के लिए विविध जीवों के प्रदर्शन को भी समृद्ध करेगा. श्री सिंह ने बताया कि यह एक महत्वपूर्ण आदान-प्रदान कार्यक्रम था, जो कई दिनों से लंबित था. इस मादा जिराफ ‘मिष्टी’ की ऊंचाई 12 फीट से अधिक है. इस कारण इसके लिए 14 फीट ऊंचा विशेष पिंजरा तैयार किया गया था. निचले तर के ट्रेलर में लादने के बावजूद जमीन से इसकी ऊंचाई 16-17 फीट रही. इस वजह से कोलकाता से रांची तक का सफर लगभग 24 घंटे में पूरा हो सका. जिराफ के आगमन एवं उतारने के समय प्रधान मुख्य वन संरक्षक परितोष उपाध्याय भी मौजूद थे. परिवहन एवं आदान-प्रदान को सफल बनाने में जैविक उद्यान के सहायक वन संरक्षक अशोक कुमार, पशु चिकित्सक डॉ ओम प्रकाश साहु, वन क्षेत्र पदाधिकारी राम बाबू कुमार, गायत्री देवी, जीव विज्ञानीक, वनरक्षी, चिड़ियाघर के कर्मचारी और अलीपुर वन्य प्राणी उद्यान के कर्मचारियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा.
चिड़ियाघरों में एक जिराफ का औसत जीवनकाल 19 से 20 वर्ष
जैविक उद्यान के निदेशक जब्बर सिंह ने बताया कि एक जिराफ का औसत जीवनकाल चिड़ियाघरों में 19 से 20 वर्ष और प्राकृतिक आवास में 17 से 18 वर्ष तक होता है. उत्तरी जिराफ मुख्यतः अफ्रीका के पूर्वी एवं मध्य भागों जैसे- केन्या, दक्षिण सूडान, चाड, नाइजर एवं मध्य अफ्रीका गणराज्य के कुछ संरक्षित क्षेत्रों में पाये जाते हैं. जिराफ शाकाहारी प्राणी हैं, जिन्हें चिड़ियाघरों में प्रायः पेड़ों पत्तियां और घास खिलायी जाती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
