दुर्गा पूजा स्पेशल: झारखंड के इन मंदिरों में जरूर टेके माथा, अनोखी है यहां की मान्यता, पूरी होती है हर मुराद
Durga Puja Special: नवरात्र के दौरान झारखंड के कई प्राचीन और चमत्कारी मंदिरों में दर्शन का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इन मंदिरों में सच्चे मन से मां दुर्गा की पूजा करने पर हर मनोकामना पूरी होती है.
Durga Puja Special: महालया के साथ ही मां दुर्गा का धरती पर आगमन हो गया है. कल सोमवार को कलश स्थापना के साथ मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना शुरू होगी. मंदिरों और पूजा पंडालों में इस दौरान भक्ति के साथ ही खास उत्साह और उमंग भी देखने को मिलती है. नवरात्र के दौरान झारखंड के कई प्राचीन और चमत्कारी मंदिरों में दर्शन का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इन मंदिरों में सच्चे मन से मां दुर्गा की पूजा करने पर हर मनोकामना पूरी होती है.
इन मंदिरों में सदियों से हो रही आराधना
इन मंदिरों में सालों भर भक्तों का तांता लगा रहता है. दुर्गा पूजा पर यहां भव्य आयोजन भी होते हैं. इन मंदिरों में कई शक्तिपीठ भी हैं, जहां सदियों से माता की आराधना हो रही है. कोई संतान प्राप्ति की इच्छा लेकर आता है, तो कोई रोग-शोक दूर करने की प्रार्थना करता है. मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी हर मुराद पूरी होती है. इस दुर्गा पूजा आपको भी इन मंदिरों में माथा टेकने जरूर जाना चाहिए.
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मां देवड़ी मंदिर
देवड़ी मंदिर राजधानी रांची से करीब 60 किलोमीटर दूर तमाड़ में स्थित प्रसिद्ध मंदिर है. यह मंदिर देवी मां दुर्गा को समर्पित है. यहां मुख्य आकर्षण का केंद्र मां दुर्गा की 700 वर्ष पुरानी मूर्ति है. देवड़ी मंदिर में भक्त जन 16 भुजी मां दुर्गा की अराधना करते हैं. यहां रोजाना भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. मंदिर में बलि की भी प्रथा है. अपनी मनोकामना पूरी होने पर भक्त यहां बकरे की बलि चढ़ाते हैं.
मां छिन्नमस्तिका मंदिर/ रजरप्पा मंदिर
रामगढ़ में स्थित करीब 6000 साल पुराना मां छिन्नमस्तिका का मंदिर काफी रहस्यमय है. इस मंदिर में स्थापित देवी की प्रतिमा भी काफी अनोखी है. इस प्रतिमा में मां का सिर कटा हुआ है और उनके गले से रक्त की तीन धाराएं निकल रही हैं. देवी का कटा सिर उनके ही हाथ में मौजूद है. माता के इस अद्भुत स्वरूप के दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. इसके अलावा यह मंदिर तंत्र साधना के लिए भी काफी प्रसिद्ध है. इसे लेकर मान्यता है कि इस मंदिर में आकर माता के दर्शन करने मात्र से लोगों की मन्नत पूरी हो जाती है. यहां भी बलि की प्रथा है.
मां भद्रकाली मंदिर
भद्रकाली मंदिर चतरा जिले में स्थित है. मान्यता है कि माता कि यह प्रतिमा स्वतः प्रकट हुई है, इसलिए इसका महत्व व ख्याति प्रसिद्ध है. माता की शक्ति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वर्ष 1968 में चोरी होने के बाद भी अंतरराष्ट्रीय मूर्तियों के तस्कर नौलखा के चंगुल से मुक्त होकर पुनः स्थापित हुई. यहां पहुंचनेवाले भक्त मां भद्रकाली के मस्तक पर चढ़नेवाले फूल के गिरने का बेसब्री से इंतजार करते हैं. यह माना जाता है कि जिसके हाथों में माता का आशीर्वाद पुष्प गिरा है, उसकी मनोकामना पूर्ण हुई है.
