आइएफएमएस में गड़बड़ी, बजट आवंटन के बिना करोड़ों खर्च
भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने झारखंड विधानसभा में राज्य की एकीकृत वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (आइएफएमएस) पर रिपोर्ट पेश की. 2007 से 2022 तक की ऑडिट जांच में वित्तीय अनुशासन की कई गंभीर कमियां सामने आयीं.
रांची. भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने झारखंड विधानसभा में राज्य की एकीकृत वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (आइएफएमएस) पर रिपोर्ट पेश की. 2007 से 2022 तक की ऑडिट जांच में वित्तीय अनुशासन की कई गंभीर कमियां सामने आयीं. रिपोर्ट के अनुसार योजना निधि, ऋण प्रबंधन और लेखा परीक्षा जैसे तीन प्रमुख मॉड्यूल राज्य में लागू नहीं किये गये. इससे पारदर्शी वित्तीय प्रबंधन बाधित हुआ. आइटी उपकरणों की खरीद में देरी, एनआइसी पर अत्यधिक निर्भरता और तकनीकी दस्तावेजों की कमी ने प्रणाली की दक्षता को प्रभावित किया. बिजनेस कैंटिन्यूटी प्लान और एनडीआरसी की स्थापना नहीं होने से सिस्टम ठप होने का खतरा बना रहा. आइएफएमएस को केंद्र की पीएफएमएस प्रणाली से नहीं जोड़ा गया, जिससे केंद्र प्रायोजित योजनाओं की निगरानी बाधित हुई. पेंशन भुगतान में भी अनियमितताएं मिलीं : 344 मामलों में पेंशनभोगियों 11 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भुगतान हुआ, जिसमें से 2.03 करोड़ रुपये सिस्टम की कमजोरियों के कारण गलत तरीके से दिये गये. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि डीडीओ ने बिना बजट आवंटन के 34.33 करोड़ रुपये खर्च किये और 405 एसी बिलों की अनुचित निकासी की गयी. राजस्व संग्रह में भी गड़बड़ी सामने आयीं : वर्ष 2017 से 2022 के बीच राज्य सरकार ने 4.40 करोड़ की कम राजस्व वसूली की. सहायता अनुदान के 2.7 लाख बिलों में से केवल तीन के विरुद्ध उपयोगिता प्रमाणपत्र जमा पाया गया. सीएजी ने निष्कर्ष में कहा कि आइएफएमएस का संचालन कई स्तरों पर कमजोर है, जिससे राज्य की वित्तीय पारदर्शिता और जवाबदेही प्रभावित हुई है.
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