Ranchi news : कुड़मी को एसटी में सूचीबद्ध नहीं किया, तो होगी आर्थिक नाकेबंदी

जंतर-मंतर में झारखंड, बंगाल व ओडिशा के कुड़मियों का धरना-प्रदर्शन

By DEEPESH KUMAR | September 6, 2025 6:49 PM

: जंतर-मंतर में झारखंड, बंगाल व ओडिशा के कुड़मियों का धरना-प्रदर्शन

रांची. टोटेमिक कुड़मी/कुरमी (महतो) समाज के बैनर तले दिल्ली के जंतर-मंतर में समाज के अगुआ शीतल ओहदार की अध्यक्षता में धरना व प्रदर्शन किया गया, जिसमें झारखंड, बंगाल और ओडिशा के कुड़मियों ने हिस्सा लिया. धरना प्रदर्शन के माध्यम से कुड़मियों को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने और कुड़माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की गयी. धरना प्रदर्शन में मुख्य रूप से कुड़मी समाज पश्चिम बंगाल के केंद्रीय अध्यक्ष राजेश महतो, ओडिशा आदिवासी कुड़मी सेना के केंद्रीय अध्यक्ष दिव्य सिंह महंता सहित हजारों महिला-पुरुष शामिल हुए. धरना को संबोधित करते हुए श्री ओहदार ने कहा कि हम कुड़मियों के साथ 75 साल से अन्याय हुआ है. आज ही के दिन छह सितंबर 1950 को कारपोरेट घरानों के इशारे पर हमें जनजातीय अधिकार से वंचित किया गया. उन्होंने कहा कि विपरीत परिस्थिति में झारखंड, बंगाल और ओडिशा के कुड़मी अति सुदूर क्षेत्रों से दिल्ली के जंतर-मंतर में आकर आंदोलन कर रहे हैं. कहा कि प्रथम जनगणना 1901 एवं 1911 में कुड़मियों को एबोरिजिनल ट्राइब, 1921 में एनीमिस्ट ट्राइब तथा 1931 में प्रिमिटिव ट्राइब की श्रेणी में रखा गया था, किंतु आजादी के बाद अचानक ही हमें ट्राइब की श्रेणी से हटा दिया गया. इसका एकमात्र कारण हमारे जमीन के नीचे का खनिज था. इस खनिज को हासिल करने के लिए हमें हमारे हक से वंचित कर दिया गया. धरना के माध्यम से केंद्र सरकार को चेतावनी दी गयी कि यदि कुड़मियों को अविलंब अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल नहीं किया जाता है, तो संपूर्ण झारखंड में चक्का जाम किया जायेगा. झारखंड से खनिज अयस्क को बाहर नहीं दिया जायेगा.

ओड़िशा के दिव्या सिंह मोहंता ने कहा कि भारत सरकार का सितंबर 1950 का आदेश यह घोषित करता है कि केवल वे जनजाति जो 1931 की जनगणना प्रतिवेदन में प्रिमिटिव ट्राइब की सूची में शामिल हैं, उन्हें देश के संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत महामहिम राष्ट्रपति किसी भी समुदाय को अनुसूचित जनजाति घोषित करेंगे और उन्हें अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल किया जायेगा. किंतु कुड़मियों को लगातार 75 वर्षों तक संघर्ष करने के बाद भी संवैधानिक अधिकार से वंचित किया गया. आदिवासी कुड़मी समाज बंगाल के अध्यक्ष राजेश महतो ने कहा सभी गुष्टीधारी कुड़मी अपने अधिकार को समझें और उस राजनीतिक दल को अपना वोट दें, जो कुड़मी को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल कराने का हिमायती हो. धरना में अमित महतो, अशोक महतो, सखीचंद महतो, थानेश्वर महतो, सपन कुमार महतो, मिथिलेश महतो, राजेंद्र महतो, संजय लाल महतो, राजू महतो, गौरीशंकर महतो, सुषमा महतो, सोमा महतो, रचिया महतो, रामचंद्र महतो, अशोक महतो, लालमोहन महतो, दुर्गा चरण महतो, सरस्वती देवी, सावित्री देवी, धर्मदयाल साहू, परमेश्वर महतो, नेपाल महतो, नंदलाल महतो, रघुनाथ महतो, हेमलाल महतो, प्रदीप महतो, ओमप्रकाश महतो, सोनालाल महतो, क्षेत्र मोहन महतो, शिशुपाल महतो, अघनू राम महतो, ललित मोहन महतो, महेंद्र महतो, सुधीर मंगलेश सहित अन्य उपस्थित थे.

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