झारखंड में लंबित है दाखिल खारिज के 65 हजार से ज्यादा मामले, जानें किस जिले से कितने

झारखंड में 65 हजार से ज्यादा दाखिल खारिज के मामले लंबित हैं. इनमें से कई मामले तो ऐसे हैं जो कि 90 दिनों से अधिक समय से पेंडिंग चल रहे हैं. रांची जिले का हाल तो इस मामले में सबसे ज्यादा बुरा है

By Prabhat Khabar | January 29, 2022 7:53 AM

रांची : झारखंड में अब भी दाखिल खारिज के 65 हजार से अधिक मामले लंबित हैं. इनमें बड़ी संख्या में मामले 30 दिनों से अधिक समय तक के हैं. वहीं, कई अंचलों में 90 दिनों से भी अधिक समय तक मामले लंबित रखे गये हैं. यह स्थिति तब है, जब संबंधित उच्चाधिकारी लगातार म्यूटेशन के मामलों के निबटारे का निर्देश दे रहे हैं. इस मामले में मुख्य सचिव ने भी जल्द कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. उन्होंने सभी जिलों के डीसी से कहा था कि दाखिल खारिज के मामले लंबित नहीं रखें.

कहां-कितने मामले लंबित :

रांची जिले के कुछ अंचलों में ज्यादा मामले लंबित हैं. कांके अंचल में 2473, नामकुम अंचल में 2367, नगड़ी में 1253, रातू अंचल में 1233, बड़गाईं में 992, ओरमांझी में 569 और शहर अंचल में 554 मामले लंबित हैं. इसके अलावा भी अन्य अंचलों में दाखिल खारिज के कई मामले लंबित हैं. कई अंचलों में तो 90 दिनों से मामले लंबित हैं.

इसमें सर्वाधिक मामले धनबाद अंचल के हैं. यहां 217 मामले पेंडिंग हैं. वहीं, धनबाद के एग्यारकुंड अंचल में 140 मामले लंबित हैं. गिरिडीह के देवरी अंचल में 47, पलामू के चैनपुर में 41, धनबाद के निरसा में 35, साहिबगंज के उधवा में 62, हजारीबाग जिले के कटकमदाग में 111, बरकट्ठा में 77 और बरही में 64, हजारीबाग सदर में 43, कोडरमा के जयनगर में 14, गिरिडीह के जमुआ में 19, गोला में 18, रामगढ़ सदर में 19, गिरिडीह के बिरनी में 13 और धनवार में 11, गढ़वा में 11, कोडरमा के मरकच्चो में 13, हजारीबाग के चौपारण में 13, पलामू के विश्रामपुर में 13 मामले लंबित हैं.

पैसों के लिए लटकाया जाता है मामला

दाखिल खारिज को लेकर अक्सर अंचल कार्यालयों की शिकायतें आला अफसरों को मिल रही हैं. अधिकतर मामलों में रैयतों को दाखिल खारिज के नाम पर दौड़ाया जाता है. रैयत शिकायत कर रहे हैं कि दाखिल खारिज करने के नाम पर डिमांड की जाती है. डिमांड पूरी हुई, तो म्यूटेशन कर दिया जाता है, वरना दौड़ाया जाता है. इसे लेकर बड़ा खेल किया जा रहा है. बड़े भूखंडों में तो बड़ी राशि देनी ही पड़ती है. छोटे-छोटे प्लॉट के लिए भी पैसे लेने की शिकायतें हैं. अन्यथा कुछ न कुछ ऑब्जेक्शन कर मामला लटकाया जाता है.

Posted By: Sameer Oraon

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