CWG 2022: लॉन बॉल में भारत को गोल्ड मेडल दिलाने वाली लवली चौबे ने ऐसे किया संघर्ष

आज हर तरफ सोने की बेटियों की बात हो रही है. बर्मिंघम में चल रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में झारखंड की दो बेटियों ने कमाल कर दिखाया है. खिलाड़ियों ने देश को गोल्ड दिलाया है लेकिन इसके बावजूद गोल्ड जीतने वाली लवली की झारखंड में अनदेखी हो रही है.

By Prabhat Khabar | August 4, 2022 1:46 PM

रांची: बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में मंगलवार का दिन खास रहा. भारतीय लॉन बॉल टीम में शामिल झारखंड की दो खिलाड़ियों ने ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए देश को गोल्ड दिलाया. लगभग 20 दिन पहले जिन खिलाड़ियों को छुट्टी नहीं मिल रही थी, आज उन्हीं खिलाड़ियों ने पूरी दुनिया में देश और राज्य का परचम लहरा दिया. ये हैं झारखंड की लॉन बॉल खिलाड़ी लवली चौबे और रूपा रानी तिर्की. इस ऐतिहासिक जीत के लिए दोनों खिलाड़ियों को शुभकामनाएं और बधाई भी मिली है. लेकिन इसके बावजूद गोल्ड जीतने वाली लवली चौबे की झारखंड में अनदेखी हो रही है.

झारखंड पुलिस में कांस्टेबल है लवली चौबे

लवली चौबे झारखंड पुलिस में कांस्टेबल है और बेरमो के मकोली की रहने वाली है. 20 दिन पहले तक इन्हें इनके विभाग से बर्मिंघम जाने की अनुमति नहीं मिल रही थी. खबर छपने के बाद विभाग की ओर से दोनों को बर्मिंघम जाने की अनुमति तो मिल गयी. लेकिन अपने खर्च पर, वह भी लीव विदाउट पे. दोनों को अवैतनिक अवकाश पर जाने की अनुमति दी गयी. इन सबके बावजूद दोनों ने हिम्मत नहीं हारी और बर्मिंघम जाने का फैसला किया और दोनों ने बर्मिंघम में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीता.

सरकार की ओर से अब तक इनाम की कोई घोषणा नहीं

कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीतने वाली झारखंड की खिलाड़ियों को राज्य सरकार की ओर से बधाई तो दी गयी, लेकिन अब तक इनके लिए कैश, अवॉर्ड की कोई घोषणा नहीं की गयी है. मधुकांत पाठक ने बताया कि सरकार को कैश अवॉर्ड के साथ-साथ इन्हें डीएसपी बनाने की भी घोषणा करनी चाहिए. उन्होंने बताया कि आइएएएफ वर्ल्ड अंडर-20 चैंपियनशिप में गोल्ड जीतने पर असम सरकार ने स्प्रिंटर हिमा दास को डीएसपी बनाया था. उसी से प्रेरित होकर झारखंड सरकार को भी लवली चौबे और रूपा रानी तिर्की को डीएसपी का पद ऑफर करना चाहिए.

विभाग की ओर से अब तक छुट्टी अप्रूव नहीं हुए हैं

इन खिलाड़ियों के कोच मधुकांत पाठक ने बताया कि सभी व्यक्तिगत छुट्टी पर बर्मिंघम गये हैं. विभाग की ओर से अभी तक इनके स्पेशल लीव, अर्न लीव, सीएल या मेडिकल अप्रूव नहीं हुए हैं. ऐसे में सभी खिलाड़ी अपना अप्लीकेशन देकर छुट्टी पर बर्मिंघम खेलने गये हैं. हालांकि अब जबकि इन खिलाड़ियों ने देश को गोल्ड दिलाया है, ऐसे में इनकी छुट्टी जल्द अप्रूव होने की संभावना है.

प्रभात खबर ने उठाया था मामला

बर्मिंघम जाने के लिए इन खिलाड़ियों के विभाग की ओर से जब छुट्टी के आवेदन पर विचार नहीं किया गया था, तब प्रभात खबर ने प्रमुखता से इस मामले को उठाया था. उसके एक दिन बाद ही इन खिलाड़ियों को छुट्टी संबंधी पत्र जारी कर दिया गया था.

झारखंड में नहीं है ग्रास कोर्ट

रांची (झारखंड) में लॉन बॉल स्टेडियम का निर्माण 2008 में हुआ था. यह भारत का पहला इंडोर स्टेडियम है. इसके अलावा एक आउटडोर मैदान भी है. इंडोर और आउटडोर ग्राउंड में सिंथेटिक ग्रास लगे हैं. ग्रास कोर्ट नहीं होने से खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने में परेशानी होती है. आठ साल पहले बॉलिंग संघ की ओर से ग्रास कोर्ट लगाने संबंधी आवेदन भी दिया गया था. बॉलिंग संघ के कोच मधुकांत पाठक ने बताया कि ग्रास कोर्ट लगाने में मात्र आठ लाख रुपये का खर्च है, लेकिन सरकार मदद नहीं कर रही है.

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