ढुलाई नहीं होने से सीएचपी में बढ़ रहा कोयले का भंडार, आग लगने का खतरा
कोयला आवक की तुलना में लगातार कम संप्रेषण की वजह से सीएचपी-सीपीपी परियोजना में कोयले का बड़ा स्टॉक बढ़ रहा
प्रतिनिधि, पिपरवार.
कोयला आवक की तुलना में लगातार कम संप्रेषण की वजह से सीएचपी-सीपीपी परियोजना में कोयले का बड़ा स्टॉक बढ़ रहा है. अब तक सीएचपी के रॉ कोल पाइल व वॉश कोल पाइल में लगभग 90 हजार टन कोयले का स्टॉक हो चुका है. इसकी वजह से अब कोयले में आग लगनी भी शुरू हो चुकी है. जानकारी के अनुसार प्रतिदिन अशोक परियोजना से सीएचपी को लगभग 10 हजार व आम्रपाली परियोजना से छह हजार टन कोयले की आपूर्ति हो रही है. लेकिन आवक की तुलना में सीएचपी से मात्र 11 हजार टन कोयले का संप्रेषण हो पा रहा है. सीएचपी शैलो से एक व बचरा साइडिंग से दो रैक ही कोयले का संप्रेषण हो पा रहा है. कोयला संप्रेषण में आयी कमी की वजह से सीएचपी से बचरा साइडिंग तक कोयले की कम ढुलाई होना बताया जा रहा है. जबकि वर्तमान समय में कांटाघरों में भी किसी तरह की इंटरनेट की समस्या नहीं है. बताया जा रहा है ट्रांसपोर्टर पर्याप्त संख्या में डंपर को नहीं लगा रहे हैं. वहीं, कुछ डंपर चालक मालिक की आंखों में धूल झोंक कर डंपरों को कांटाघर से कुछ दूरी पर बेवजह खड़ा रखते हैं. कांटाघर में किसी तरह की समस्या नहीं होने पर भी वे सर्वर डाउन होने की समस्या बता कर कोयला ढुलाई नहीं करते हैं. इस संबंध में एरिया डिस्पैच ऑफिसर सुनील सिंह ने बताया कि रैक की कोई कमी नहीं है. ट्रांसपोर्टर को प्रतिदिन 11 हजार टन कोयला ढुलाई करनी है. लेकिन वे पर्याप्त संख्या में डंपरों को नहीं लगा रहे हैं. उन्होंने बताया कि इस संबंध में उन्होंने मुख्यालय को भी अवगत कराया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
