Ranchi news : नहीं मिल रहा क्लियरेंस, छह-सात साल से लटकी हैं सड़क योजनाएं
फॉरेस्ट व वाइल्ड लाइफ क्लियरेंस के पेच में नहीं हो रहा काम.
मनोज लाल, रांची.
भारत सरकार से रोड कनेक्टिविटी प्रोग्राम फॉर लेफ्ट विंग एक्सट्रीमिज्म एरिया (आरसीपीएलडल्ब्ल्यूइए) के तहत झारखंड को मिलीं योजनाएं छह-सात साल से फंसी हुई हैं. फॉरेस्ट क्लियरेंस नहीं होने से योजनाएं लटकी हुई हैं. केंद्र सरकार ने कई बार योजनाओं को लेकर समीक्षा भी की, लेकिन झारखंड में योजनाओं के लिए फॉरेस्ट व वाइल्ड लाइफ क्लियरेंस नहीं मिल रहा है. जबकि, क्लियरेंस के लिए बहुत पहले ही संबंधित विभाग ने प्रस्ताव दिया है. जानकारी के मुताबिक, भारत सरकार ने राज्य के अति उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के लिए ये योजनाएं दी थी. जहां किसी भी योजनाओं से सड़कों का निर्माण नहीं हुआ था, वहां इस विशेष योजना से सड़कें दी गयी थीं. अभी राज्य के चतरा, लातेहार, पूर्वी सिंहभूम, सिमडेगा, पलामू व गिरिडीह जिले की योजनाएं लटकी हुई हैं.जिलों में लटकीं कुछ योजनाएं
-लातेहार से बनारी वाया गोतांग रोड (लंबाई 13.43 किमी) को फरवरी 2018 में स्वीकृति मिली थी. फॉरेस्ट क्लियरेंस के लिए अक्तूबर 2023 में प्रस्ताव दिया गया था.
-सिमडेगा में बोलबा से ओडिशा सीमा तक (16.5 किमी) की सड़क को फरवरी 2018 में स्वीकृति मिली थी. मई 2019 में फॉरेस्ट क्लियरेंस के लिए आवेदन दिया गया था.-चतरा में लावालौंग से रामपुर होते हुए पांकी रोड (35 किमी) को दिसंबर 2019 में स्वीकृति मिली थी. फॉरेस्ट व वाइल्ड लाइफ क्लियरेंस करीब डेढ़ साल से लटका है.
-पलामू में साहपुर से हुलासी घाट (3.82 किमी) को दिसंबर 2019 में स्वीकृति मिली थी. फॉरेस्ट क्लियरेंस जनवरी 2021 से लटका है.-गिरिडीह में मधुबन से शिखरजी रोड (15 किमी) को अक्तूबर 2021 में स्वीकृति मिली थी. वाइल्ड लाइफ व फॉरेस्ट क्लियरेंस का आवेदन फंसा हुआ है.
-पूर्वी सिंहभूम में बेको से अमड़ा पहाड़ी रोड (7.5 किमी) को अक्तूबर 2021 में स्वीकृति मिली थी. ढाई साल से क्लियरेंस लटका हुआ है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
