Ranchi News : श्याम रंग में रंगी रांची की गलियां
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी और रोहिणी नक्षत्र के पावन संयोग में इस वर्ष 16 अगस्त को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जायेगा.
रोहिणी नक्षत्र के पावन संयोग में 16 अगस्त को मनाया जायेगा भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव
रांची. भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी और रोहिणी नक्षत्र के पावन संयोग में इस वर्ष 16 अगस्त को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जायेगा. इस बार ऐसा योग बन रहा है जब जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र का गौण योग भी रहेगा. वृंदावन और गोकुल में यह पर्व परंपरा अनुसार तीन दिनों तक उत्साहपूर्वक आयोजित होगा. ऋषिकेश पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 15 अगस्त की रात 12:58 बजे से आरंभ होकर 16 अगस्त की रात 10:29 बजे तक रहेगी. ज्योतिषाचार्य डाॅ विनीत अवस्थी बताते हैं कि अष्टमी तिथि अव्याप्ति के कारण व्रत और पूजन 16 अगस्त को करना शास्त्रसम्मत होगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र के संयोग में चतुर्भुज भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. मान्यता है कि इस रात्रि का पूजन समस्त पापों का हरण करने वाला होता है. जन्माष्टमी पर परंपरागत रूप से भगवान को 56 भोग अर्पित किये जाते हैं. क्या कहता है वाराणसी पंचांग : वाराणसी पंचांग के अनुसार पंडित कौशल कुमार मिश्र ने कहा कि पूरी रात अष्टमी तिथि नहीं मिल रही है. भगवान के जन्म के समय में रोहिणी नक्षत्र की जगह कृतिका नक्षत्र रहेगा. सुबह 8:08 से शुरू हो रहा है. रविवार की सुबह 6:28 पर समाप्त हो रहा है. रोहिणी नक्षत्र को मानने वाले कई वैष्णव रविवार को जन्माष्टमी का त्योहार मनायेंगे. इस दिन 6:29 से रोहिणी नक्षत्र शुरू हो रहा है, जो सोमवार को सूर्योदय पूर्व 4:54 में समाप्त होगा.कान्हाजी को प्रसन्न करने के लिए लगाये इन पांच चीजों का भोग
कान्हाजी का जन्मोत्सव मनाते समय उनकी पसंदीदा व्यंजनों का भोग लगाने का विशेष महत्व होता है. भगवान कृष्ण की सबसे पसंदीदा चीज में से एक है माखन मिसरी. इसके अलावा भी कुछ ऐसी वस्तुओं के बारे में शास्त्रों में बताया गया है जो भगवान कृष्ण को बेहद प्रिय मानी जाती हैं.माखन मिसरी :
भगवान कृष्ण का सबसे पसंदीदा भोग है माखन और मिसरी. बचपन से ही कान्हाजी गोपियों का माखन चुरा के खाते थे. यही वजह है कि उन्हें माखनचोर कहा जाता है. बचपन से ही मैया यशोदा भगवान कृष्ण को माखन में मिसरी मिलाकर खिलाया करती थीं. इसलिए माखन संग मिसरी मिलाकर भोग लगायें तो कान्हाजी कष्ट दूर करते हैं.खीर :
श्रीकृष्ण भगवान को चावल की खीर भी बहुत पसंद है. जन्मोत्सव के समय कान्हाजी को खीर का भोग लगाने से घर में सुख समृद्धि बढ़ती है. मान्यता है कि घर में कभी अन्न और धन की कमी नहीं होती है. मेवा और मखाने डालकर चावल और गाय के दूध से बनी विशेष खीर तैयार कर कृष्णजी को भोग लगाना चाहिए.पंजीरी :
प्रसाद स्वरूप विशेष रूप से धनिया पंजीरी, पंचामृत, खीर और तुलसीदल अर्पित करना शुभ माना गया है. आयुर्विज्ञान के अनुसार धनिया विटामिन-ए, विटामिन-सी, ल्यूटिन और कैरोटीनॉयड से भरपूर होता है, जो हृदय, थायरॉइड और पाचन तंत्र के लिए लाभकारी है. बच्चों में यह पेट के कीड़े खत्म करने में सहायक माना जाता है.पंचामृत :
भगवान कृष्ण के जन्म की खुशियां मनाते समय उन्हें पंचामृत से भोग लगाना चाहिए. इस पंचामृत में दही, दूध, घी, मक्खन और गंगाजल का प्रयोग करें और साथ में शहद भी मिलायें. इसके अलावा इसमें पंचमेवा भी डालकर कान्हाजी का भोग लगाना चाहिए. इस पंचामृत को प्रसाद के रूप में ग्रहण करके जन्माष्टमी का व्रत खोलना चाहिए.पंचमेवा :
जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर पांच मेवा से बना मेवापाक का भोग भी लगाना बहुत अच्छा माना जाता है. जहां तक हो सके कान्हीजी के भोग में अपने हाथ से बने व्यंजनों का भोग लगाना चाहिए. मान्यता है कि महिलाएं शुद्धता से जो व्यंजन बनाती हैं उनका भोग अर्पित करने से कान्हाजी घर में बरकत और खुशियां बढ़ाते हैं. शुभ वस्तुएं घर में लाने का विधानजन्माष्टमी पर लड्डू गोपाल की मूर्ति, चांदी अथवा धातु का झूला, गाय-बछड़े की मूर्ति लाना शुभ माना गया है. बांस, लकड़ी या चांदी की बांसुरी पूजन के बाद घर के बीम के समीप लटकाने से वास्तु दोष निवारण होता है.कालसर्प दोष निवारक होता है मोर का पंख
मोर पंख की स्थापना से घर में समृद्धि आती है. यह कालसर्प दोष निवारक है. दक्षिणावर्ती शंख में दूध और गंगाजल भरकर भगवान का अभिषेक करने और उसे घर में स्थापित करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है. इसके अलावा वैजयंती माला भगवान को अर्पित कर पूजन उपरांत स्वयं धारण करना अत्यंत शुभ माना गया है.भगवान कृष्ण का अभिषेक के समय स्मरणीय श्लोक“पांचजन्यं हृषिकेशो देवदत्तं धनंजयः।
पौण्ड्रं दध्मौ महाशंखं भीमकर्मा वृकोदरः॥”————————————–
राजधानी में कई जगहों पर दही हांडी प्रतियोगिता
राधाकृष्ण प्रणामी मंदिर : श्री कृष्ण प्रणामी सेवा धाम ट्रस्ट की ओर से संचालित पुंदाग स्थित श्री राधाकृष्ण प्रणामी मंदिर में 16 अगस्त को श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनायी जायेगी. ट्रस्ट के उपाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद अग्रवाल ने बताया कि रात 12 बजे श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की आरती की जायेगी और ठाकुर जी को छप्पन भोग अर्पित किया जायेगा.श्री मदन मोहन मंदिर : श्री मदन मोहन मंदिर बोड़ेया में श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव मनाया जायेगा. 16 अगस्त की सुबह सात बजे से शाम सात बजे तक विशेष पूजा होगी. शाम सात बजे महाआरती, पुष्पांजलि, प्रसाद वितरण किया जायेगा. शाम साढ़े सात बजे से रात 12:30 तक सांस्कृतिक कार्यक्रम व जन्मोत्सव का आयोजन किया जा रहा है.
श्री राधाकृष्ण मंदिर : श्री शिव मंदिर महावीर मंदिर न्यास समिति के श्री राधाकृष्ण मंदिर में श्री राम भरत मिलाप समिति द्वारा श्री राधाकृष्ण बाल रूप सज्जा प्रतियोगिता 16 अगस्त की शाम छह बजे से होगी. जीरो से छह साल और सात से 12 साल के बच्चे प्रतियोगिता में हिस्सा ले सकेंगे. 17 अगस्त को जन्मोत्सव मेला मंदिर परिसर में लगेगा.हरमू मैदान : श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव समिति हरमू की ओर से हरमू मैदान में 16 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जायेगा. दिन के एक बजे से झांकी प्रतियोगिता के साथ महोत्सव शुरू होगा. दिन के तीन बजे से दही-हांडी फोड़ प्रतियोगिता व रात 8:30 बजे से रंगारंग भोजपुरी कार्यक्रम के साथ नृत्य नाटिका होगा.
हटिया रेलवे कॉलोनी : हटिया रेलवे कॉलोनी जन्माष्टमी पूजा समिति की ओर से 16 अगस्त की मध्य रात में कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जायेगा. 17 अगस्त को फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता होगी. 18 अगस्त को डांस प्रतियोगिता होगी. छह दिनों का मेला लगता है. मेला में छोटे-बड़े झूले और खाने-पीने के कई स्टॉल लगाये जाते हैं.श्री श्याम मंडल : श्री श्याम मंडल की ओर से श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. श्री कृष्ण लीला पर आधारित झांकियां सजायी जायेंगी. मुख्य झांकी में रजत झूले पर लड्डू गोपाल का दिव्य स्वरूप होगा. रात 12 बजे श्री कृष्ण जन्म के समय घंटा घड़ियाल, नगाड़ा व शंख ध्वनि से जन्मोत्सव मनाया जायेगा. महाआरती और प्रसाद वितरण होगा.
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