Ranchi News : झारखंड की पहली महिला अधीक्षण अभियंता बनीं सरोज

झारखंड सरकार के पथ निर्माण विभाग में एक नया इतिहास रचा गया है. सरोज को पदोन्नति देकर विभाग की पहली महिला अधीक्षण अभियंता बनाया गया है.

By Prabhat Khabar News Desk | September 14, 2025 8:13 PM

आज इंजीनियर्स दिवस. देश के पहले इंजीनियर थे सर विश्वेश्वरैया

लाइफ रिपोर्टर @ रांची

झारखंड सरकार के पथ निर्माण विभाग में एक नया इतिहास रचा गया है. सरोज को पदोन्नति देकर विभाग की पहली महिला अधीक्षण अभियंता बनाया गया है. यह न केवल विभाग बल्कि पूरे राज्य और समाज के लिए गर्व की उपलब्धि है. सरोज वर्ष 2007 में जेपीएससी परीक्षा के माध्यम से सहायक अभियंता पद पर नियुक्त हुई थीं. इसके बाद 2014 में वे विभाग की पहली महिला कार्यपालक अभियंता बनीं. अब वे विभाग कैडर की पहली महिला अधीक्षण अभियंता बनकर एक और उपलब्धि अपने नाम दर्ज की है. उनके कार्यों की सराहना करते हुए इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर्स, रांची ने 2018 में उन्हें एमींमेंट वीमेंस इंजीनियर की उपाधि से सम्मानित किया था. वहीं, जेइएसए एसोसिएशन ने उनकी सेवा भावना को देखते हुए केरल बाढ़ राहत फंड के लिए विशेष सम्मान भी प्रदान किया था. सरोज का जन्म लातेहार जिले के मनिका प्रखंड के नक्सल प्रभावित भटलौंग गांव में एक साधारण उरांव जनजाति परिवार में हुआ. उनके पिता बासुदेव भगत सेना से सेवानिवृत्त हैं और 1971 की बांग्लादेश युद्ध में शामिल रहे. सरोज ने अपनी इंजीनियरिंग शिक्षा राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) पटना से प्राप्त की.

जहां बिजली ठप, वहीं सबसे पहले याद आते हैं राघवेंद्र

एचइसी के विद्युत आपूर्ति विभाग में प्रबंधक पद पर कार्यरत इंजीनियर राघवेंद्र प्रताप संस्थान के लिए भरोसे का दूसरा नाम हैं. जैसे ही किसी भी प्लांट में बिजली आपूर्ति बाधित होती है, सबसे पहले संपर्क उन्हीं से किया जाता है. एचइसी के प्लांटों में विद्युत सप्लाई व्यवस्था काफी पुरानी और जर्जर हो चुकी है. ऐसे में आए दिन खराबी आती रहती है और निर्बाध आपूर्ति न होने पर बड़े उपकरण खराब होने का खतरा भी बना रहता है. इन चुनौतियों के बीच इंजीनियर राघवेंद्र प्रताप ने हमेशा स्थिति को संभाला है. बड़े-बड़े उपकरण निर्माण से पहले वे विशेष वैकल्पिक व्यवस्था तैयार करते हैं. इसरो के लिए बनाए गए पुस वेगन का निर्माण हो या कोल इंडिया के लिए तैयार होने वाले उपकरण हर बार उन्होंने सतत बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की. उनकी दक्षता का उदाहरण है कि जहां काम पूरा होने में सामान्यत: 156 घंटे लगते, उन्होंने टीम के साथ मिलकर उसे सिर्फ 110 घंटे में पूरा करा दिया.

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इंजीनियर्स जीवन में ऊर्जा और विकास का आधार

पावर सेक्टर से जुड़े इंजीनियर्स पावर प्लांट, पावर ग्रिड और बिजली वितरण प्रणाली के निर्माण और रखरखाव में अहम भूमिका निभाते हैं ताकि उपभोक्ताओं को निरंतर और निर्बाध बिजली मिल सके. मुझे गर्व है कि मैं साल 2000 से इस भूमिका का निर्वहन पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ करती आ रही हूं. हम जैसे इंजीनियर्स ही जीवन की ऊर्जा संबंधी जरूरतों को पूरा करते हैं और राज्य के तकनीकी व आर्थिक विकास में योगदान देते हैं. उन्होंने कहा कि फील्ड में काम करने वाली महिला अधिकारियों को परिवार और कार्यस्थल पर संतुलन बनाने की अतिरिक्त चुनौती का सामना करना पड़ता है. लेकिन, वे भी बराबरी से अपना सर्वश्रेष्ठ दे रही हैं.

अंजना शुक्ला दास : डीजीएम, एमडी सेल

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