कार्रवाई: रांची-खूंटी सेंट्रल को-अॉपरेटिव बैंक से लिया था लोन, दो आइएएस अधिकारियों को डिफॉल्टर घोषित किया गया
रांची: रांची-खूंटी सेंट्रल कोअॉपरेटिव बैंक ने दो आइएएस अधिकारियों को डिफाॅल्टर घोषित कर रखा है. ये अधिकारी बैंक से कर्ज लेने के बाद पैसा वापस नहीं लौटा रहे हैं. इनमें संत कुमार वर्मा और डीप्रभा लकड़ा का नाम शामिल है. संत कुमार फिलहाल कल्याण विभाग में विशेष सचिव के पद पर पदस्थापित हैं. जबकि डीप्रभा […]
रांची: रांची-खूंटी सेंट्रल कोअॉपरेटिव बैंक ने दो आइएएस अधिकारियों को डिफाॅल्टर घोषित कर रखा है. ये अधिकारी बैंक से कर्ज लेने के बाद पैसा वापस नहीं लौटा रहे हैं. इनमें संत कुमार वर्मा और डीप्रभा लकड़ा का नाम शामिल है. संत कुमार फिलहाल कल्याण विभाग में विशेष सचिव के पद पर पदस्थापित हैं. जबकि डीप्रभा लकड़ा पंजाब सरकार के गृह विभाग में विशेष सचिव के पद पर पदस्थापित हैं.
2.5 लाख का लिया था कर्ज, अब हो गया है 4.20 लाख रुपये बकाया
डीप्रभा लकड़ा मूलत: पंजाब कैडर के आइएएस अधिकारी हैं. वह 2010 में झारखंड में प्रतिनियुक्ति पर आये थे और 2015 में प्रतिनियुक्ति अवधि पूरी होने का बाद वापस पंजाब चले गये. उन्होंने वर्ष 2011 में रांची खूंटी सेंट्रल कॉपरेटिव बैंक से 2.5 लाख रुपये कर्ज लिया था. उनका लोन अकाउंट नंबर 710377 है. लोन अकाउंट में उनका पता, नेपाल हाउस, रांची दर्ज है. नियमानुसार इस रकम को 13 प्रतिशत सूद सहित 36 किस्तों में (तीन साल में) वापस करना था. लेकिन उन्होंने यह रकम वापस नहीं की. रकम वापस नहीं करने की वजह से बैंक ने उन्हें डिफाल्टर घोषित कर दिया है. बैंक द्वारा बार-बार याद दिलाये जाने पर उन्होंने 29 मई 2013 को आरजीएस के सहारे बैंक से लिये गये कर्ज मेें से 10 हजार रुपये वापस किये थे. इसके बाद से उन्होंने बैंक को कोई रकम नहीं दी है. फिलहाल बैंक का उन पर 4.20 लाख रुपये बाकी है. इस सिलसिले में पूछे जाने पर उन्होंने कर्ज लेकर नहीं चुकाने की बात स्वीकार की. साथ ही वेतनभोगी होने की परेशानियां गिनायीं. जब उनसे आइएएस अधिकारी के वेतन, भत्ते और सरकार की ओर से मिलनेवाली सुख-सुविधाओं के मुकाबले इस छोटी सी रकम की चर्चा की गयी, तो उन्होंने जल्द ही भाइयों से पैसा मांग कर बैंक का कर्ज चुकाने की बात कही.
लिया है 2़ 13 लाख का कर्ज, चुकाया है सिर्फ 20,510 रुपये
आइएएस अधिकारी संत कुमार वर्मा ने भी वर्ष 2013 में रांची-खूंटी सेंट्रल कॉपरेटिव बैंक से 2.13 लाख रुपये कर्ज लिया था. उनका लोन आकाउंट नंबर 7104554 है. बैंक में उनका पता, लोटस इंक्लेव, फ्लैट नंबर 301(रिवर व्यू होटल के पास) दर्ज है. कर्ज लेने के बाद उन्होंने भी बैंक को पैसा वापस नहीं किया. बैंक द्वारा बार-बार याद दिलाये जाने पर उन्होंने चेक के माध्यम से दो बार में कर्ज की रकम मेें से 20,510 रुपये वापस किये. बैंक द्वारा याद दिलाये जाने पर उन्होंने सात अगस्त 2013 को चेक संख्या 973123 के सहारे 10220 रुपये बैंक को वापस किये. इसके बाद 27 सितंबर 2013 को चेक संख्या 442403 के सहारे 10290 रुपये वापस किये. फिलहाल बैंक का उन पर 3.11 लाख रुपये बाकी है.
बैंक के नियमानुसार किसी कर्जदार द्वारा लगातार तीन किस्त जमा नहीं करने पर उसे डिफाॅल्टर घोषित कर दिया जाता है. कर्ज की रकम वापस नहीं करने पर वसूली के लिए कर्जदारों पर ‘सर्टिफिकेट केस’करने का प्रावधान है. पर कॉपरेटिव बैंक के अधिकारी इन आइएएस अधिकारियों के विरुद्ध ‘सर्टिफिकेट केस’करना तो दूर इस मामले में कुछ बोलने को भी तैयार नहीं हैं.
