आराम की नौकरी व ज्यादा वेतन के लिए 17 लोको पायलट ने कराया आंख का ऑपरेशन

रांची रेल डिविजन में 17 लोको पायलटों पर कार्रवाई की तैयारी

By Prabhat Khabar | December 18, 2020 11:42 AM

रांची : रांची रेल डिविजन में 17 लोको पायलटों पर कार्रवाई की तैयारी की जा रही है. आरोप है कि इन लोको पायलटों ने रेलवे के नियम का लाभ उठाने के लिए लेसिक लेजर ऑपरेशन के माध्यम से अपनी नजर कमजोर करायी. अपने विभाग को ऑपरेशन की जानकारी भी नहीं दी. यह सब आराम की नौकरी व अधिक वेतन के लिए किया गया.

रेलवे के कार्मिक विभाग ने इन ड्राइवरों की जांच करायी, तो आंखों के ऑपरेशन का पता चला. मामले का खुलासा होने के बाद इन लोको पायलटों को चार्जशीट दिया गया है, लेकिन उन्हें पूर्व की तरह वेतन का भुगतान किया जा रहा है. 17 में से कई लोको पायलट से रोस्टर पर काम लिया जा रहा है और कई को बैठा कर वेतन दिया जा रहा है.

यह है रेलवे का नियम :

रेलवे का नियम है कि ड्यूटी करने के दौरान किसी लोको पायलट के आंखों की रोशनी कम हो जाती है, तो उन्हें सिर्फ क्लर्क का काम दिया जायेगा. साथ ही उन्हें 30 प्रतिशत की वेतन बढ़ोतरी का लाभ भी मिलेगा. रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि 17 लोको पायलटों ने जब नौकरी शुरू की थी, तो मेडिकल जांच में उनकी आंखों की रोशनी ठीक थी. लेकिन अब हुई मेडिकल जांच में सबकी नजर कमजोर मिली. रेलवे के नियम का लाभ लेने के लिए इन लोको पायलटों ने ऐसा किया है.

17 लोको पायलट ने अपने विभाग को भी नहीं दी ऑपरेशन की जानकारी

रेलवे ने ड्राइवरों की जांच करायी, तो मामले का पता चला

विभाग ने किया चार्जशीट, फिर भी मिल रहा पूर्व की तरह वेतन

क्या कहते हैं रेलवे पदाधिकारी

रांची के अलावा अन्य रेल डिविजन में भी इस तरह के मामले आये हैं. जो भी नियम संगत कार्रवाई होगी, वह होगी. मालूम हो कि लोको पायलट की नियुक्ति के समय पूरी मेडिकल जांच होती है. आंखों की भी जांच की जाती है. सिर्फ ए-1 आई साइट वाले अभ्यर्थी को ही लोको पायलट बनाया जाता है.

– नीरज कुमार, सीपीआरओ,

रांची रेल डिविजन

आंखों का ऑपरेशन कराने से ट्रेन चलाने में कोई परेशानी नहीं होती है. हालांकि, रेलवे में इस नियम का उल्लेख है कि ऑपरेशन के बाद लोको पायलट को अन्य कार्य में लगाया जायेगा. एसोसिएशन वार्ता के माध्यम से इस मामले का हल निकालने का प्रयास कर रही है.

– रामजीत, डिविजन सचिव, ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन

posted by : sameer oraon

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