रांची : बाघिन की मौत की जांच करायें सीएम : सरयू राय

रांची : पूर्व मंत्री तथा वर्तमान में विधायक सरयू राय ने कहा है कि पलामू टाइगर रिजर्व में हुई एक बाघिन की मौत की मुख्यमंत्री उच्च स्तरीय जांच करायें. इसके साथ ही इस मौत को गौर (विजन) नामक जानवर के झुंड का हमला बता कर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश करनेवाले वन विभाग के […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 23, 2020 8:42 AM
रांची : पूर्व मंत्री तथा वर्तमान में विधायक सरयू राय ने कहा है कि पलामू टाइगर रिजर्व में हुई एक बाघिन की मौत की मुख्यमंत्री उच्च स्तरीय जांच करायें. इसके साथ ही इस मौत को गौर (विजन) नामक जानवर के झुंड का हमला बता कर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश करनेवाले वन विभाग के अधिकारियों पर भी कानूनी कार्रवाई शुरू करने का वह निर्देश दें. श्री राय के अनुसार इस मामले में वन विभाग के अधिकारियों ने अक्षम्य लापरवाही बरती है तथा नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) के प्रावधानों के प्रतिकूल काम किया है.
श्री राय ने सवाल किया है कि विभाग के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन ने आज तक घटनास्थल का दौरा कर मामले का स्वयं पर्यवेक्षण क्यों नहीं किया. क्या वे बतायेंगे कि वन्य जीव इतिहास में कोई दूसरा उदाहरण है, जिसमें गौर ने हमला कर बाघ/बाघिन को मार डाला हो. जहां पर बाघिन मरी है वहां खून का एक कतरा तक नहीं है. गौर के हमले में ऐसा संभव नहीं है.
अधिकारी बता रहे हैं कि बाघिन बूढ़ी हो गयी थी, उसके नाखून झड़ गये थे. मृत बाघिन की तस्वीर देखने से स्पष्ट है कि उसके सभी पैरों के नाखून यथावत हैं, वे झड़े नही हैं. फोटो में बाघिन की नाक का रंग गुलाबी दिख रहा है. यह उसके जवान होने का लक्षण है. बूढ़ी बाघिन के नाक का रंग काला हो जाता है. वन विभाग कह रहा है कि घाव पेट में लगा है, जबकि तस्वीर में वह पृष्ठीय भाग में लगा दिख रहा है, जो गौर के हमले से संभव नहीं है.
एनटीसीए के प्रावधान के मुताबिक बाघ/बाघिन की ऐसी मौत की जांच यह मान कर की जाती है कि यह मौत शिकारी की गोली से हुई है. जब यह प्रमाणित हो जाये कि मौत शिकारी की गोली से नहीं हुई है, तब मौत के अन्य कारणों की जांच होती है. पर इस मामले में ऐसा नहीं हुआ.
वहीं एनटीसीए के प्रावधान के मुताबिक अधिसूचित वन्यजीवों के मामले में मौत के बाद पोस्टमार्टम के समय एनटीसीए का एक प्रतिनिधि मौजूद रहना चाहिए. एनटीसीए के एक प्रतिनिधि डॉ डीएस श्रीवास्तव पलामू में रहते हैं, पर उन्हें बुलाया नहीं गया. डॉ श्रीवास्तव ने खुद बताया कि उन्हें नहीं बुलाया गया. सूचना मिलने पर वह रिजर्व गये, तो देखा कि बाघिन की चिता जलाने की तैयारी हो रही है.
श्री राय ने पूछा है कि बाघिन का शव जलाने की इतनी जल्दबाजी वन विभाग को क्यों थी? इसके बजाय शव को डीप फ्रिज में रखना चाहिए था, ताकि एनटीसीए के अधिकारी इसकी जांच कर सकें. सरयू राय ने कहा है कि वन विभाग के अधिकारी बाघिन की मौत के सबूत मिटाने तथा एनटीसीए के प्रोटोकॉल के उल्लंघन के भी दोषी है. यह एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा लगता है. इसकी उच्चस्तरीय जांच जरूरी है.

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