प्रथम राष्ट्रीय जनजातीय एवं लोक चित्रकला शिविर कल से झारखंड के नेतरहाट में, जुटेंगे देश भर के लोक चित्रकार

रांची : पहली बार झारखंड के नेतरहाट में पूरे देश के आदिवासी एवं लोक चित्रकार जुटने जा रहे हैं. डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान की ओर से 10 से 15 फरवरी तक नेतरहाट में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय जनजातीय एवं लोक चित्रकला शिविर में ये लोग अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे. केरल से […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 9, 2020 12:34 PM

रांची : पहली बार झारखंड के नेतरहाट में पूरे देश के आदिवासी एवं लोक चित्रकार जुटने जा रहे हैं. डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान की ओर से 10 से 15 फरवरी तक नेतरहाट में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय जनजातीय एवं लोक चित्रकला शिविर में ये लोग अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे. केरल से हिमाचल तक के आदिवासी एवं लोक चित्रकार अपने रंगों के जादू को कैनवास पर उकेरेंगे.

राज्य में पहली बार आदिवासी एवं लोक चित्रकारों का मिलना अपने आप में एक ऐतिहासिक एवं अभूतपूर्व परिघटना है. उक्त बातें डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान के निदेशक रणेंद्र कुमार ने कहीं. उन्होंने कहा कि राज्य में पहली बार पूरे देश के आदिवासी एवं लोक चित्रकारों का महामिलान होने जा रहा है. सभी कलाकार एक दूसरे से रू-ब-रू होंगे और अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे.

श्री रणेंद्र ने कहा कि राष्ट्रीय जनजातीय एवं लोक चित्रकला शिविर में झारखंड के सोहराई, कोहबर, जादोपटिया व पेटकर शैली के चित्रकारों के साथ-साथ महाराष्ट्र के वर्ली, मध्यप्रदेश के गोंड, केरल के मुरल, तमिलनाडु के तंजौर, कर्नाटक के चित्तारा, गुजरात के पिठोरा, राजस्थान के फाड़, ओड़िशा के शउरा, लद्दाख के टांका, हिमाचल के कांगड़ा व पहाड़ी, बंगाल के पट्टचित्र, बिहार की मधुबनी शैली के चित्रकार अपनी चित्रकारी का जादू बिखेरेंगे.

रणेंद्र कुमार ने कहा कि 10 फरवरी को दिन में 12 बजे राष्ट्रीय जनजातीय एवं लोक चित्रकला शिविर का उद्घाटन होगा. शिविर का उद्घाटन चित्रकला में भाग ले रहे सबसे बुजुर्ग चित्रकार से कराया जायेगा. 15 फरवरी को शिविर के समापन समारोह में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा एवं कल्याण मंत्री चंपई सोरेन के शामिल होने की उम्मीद है.

नृत्यकला का भी लोग लेंगे आनंद

रणेंद्र कुमार ने कहा कि चित्रकला के साथ-साथ लोग अलग-अलग प्रांतों की नृत्य कला से भी परिचित हो सकें, इसके लिए 11 फरवरी को सरायकेला-खरसावां के प्रसिद्ध छऊ नृत्य का आयोजन किया जायेगा. 14 फरवरी को पद्मश्री मधु मंसूरी अपनी प्रस्तुति देंगे.

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