झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 : भाजपा नेतृत्व अब भी आजसू के साथ गठबंधन तोड़ने के पक्ष में नहीं

अंजनी कुमार सिंह नयी दिल्ली : भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व आजसू के साथ अब भी गठबंधन तोड़ने के पक्ष में नहीं है. हालांकि राज्य इकाई की ओर से पहले भी आजसू के साथ गठबंधन न करने की सिफारिश की गयी थी, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने गठबंधन के तहत चुनाव लड़ने का फैसला लिया. यही कारण […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 13, 2019 6:47 AM
अंजनी कुमार सिंह
नयी दिल्ली : भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व आजसू के साथ अब भी गठबंधन तोड़ने के पक्ष में नहीं है. हालांकि राज्य इकाई की ओर से पहले भी आजसू के साथ गठबंधन न करने की सिफारिश की गयी थी, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने गठबंधन के तहत चुनाव लड़ने का फैसला लिया. यही कारण रहा कि आजसू अध्यक्ष सुदेश महतो के भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात के बाद यह आश्वासन दिया गया था कि वह दोबारा आये और बातचीत करें.
लेकिन इस बीच आजसू ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी, जिससे केंद्रीय नेतृत्व भी नाराज है. खासकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की सीट पर आजसू द्वारा अपने प्रत्याशी की घोषणा करने के बाद. सूत्रों का कहना है कि भाजपा आलाकमान यूपीए गठबंधन को देखते हुए आजसू के साथ गठबंधन के पक्ष में है. भाजपा समाज के सभी वर्ग को साधने की कोशिश के तहत सहयोगी दल को साथ लेकर चलना चाहती है, लेकिन अब आजसू के ऊपर निर्भर करता है कि वह गठबंधन में शामिल होता है या नहीं.
पार्टी के वरिष्ठ नेता का कहना है कि गठबंधन नहीं होने की सूरत में आजसू को भले ही फायदा न हो, लेकिन भाजपा को इससे नुकसान भी हो सकता है. आजसू अब अपनी शर्तों पर गठबंधन के पक्ष में है, जो भाजपा को मंजूर नहीं है. भाजपा आजसू से अपनी ओर से गठबंधन तोड़ना नहीं चाहती है, लेकिन आजसू के शर्तों पर हो इसके पक्ष में भी नहीं है.
यदि गठबंधन टूटता है, तो इसकी पूरी जिम्मेवारी आजसू की होगी और जनता को उसका हिसाब देना होगा. भाजपा के लिए आजसू को 17 सीटें देना मुश्किल है. पिछले चुनाव में पार्टी ने आजसू के लिए आठ सीटें छोड़ी थी और इस बार 11-12 सीट देने को लगभग तैयार है. लेकिन आजसू भाजपा की मांग को स्वीकार करने के पक्ष में नहीं बतायी जा रही है. आजसू ऐसी सीटों की भी मांग कर रही है, जहां भाजपा के मौजूदा विधायक हैं.

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