रांची : इंजीनियर रोज शहर में घूमकर लीकेज का पता लगायें और उसे दुरुस्त करायें

पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की सचिव ने दिया आदेश रांची : पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की सचिव अराधना पटनायक ने इंजीनियरों को रोज राजधानी का भ्रमण कर पानी लीकेज की तलाश कर उसे ठीक कराने के निर्देश दिये हैं. रांची शहरी पेयजलापूर्ति योजना की समीक्षा करते हुए उन्होंने लीकेज की शिकायत वाले क्षेत्रों को चिह्नित […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 26, 2019 9:27 AM
पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की सचिव ने दिया आदेश
रांची : पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की सचिव अराधना पटनायक ने इंजीनियरों को रोज राजधानी का भ्रमण कर पानी लीकेज की तलाश कर उसे ठीक कराने के निर्देश दिये हैं. रांची शहरी पेयजलापूर्ति योजना की समीक्षा करते हुए उन्होंने लीकेज की शिकायत वाले क्षेत्रों को चिह्नित कर काम करने के लिए कहा.
रांची नगर आयुक्त मनोज कुमार को ड्राइजोन और पूर्व में एचवाइडीटी असफल इलाकों को चिह्नित कर वहां उच्च प्रवाही नलकूप का निर्माण नहीं कराने व जलापूर्ति की वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिये. सचिव ने जेएनएनयूआरएम के तहत क्रियान्वित की गयी योजना की जानकारी ली. मई तक सुकूरहुटू और सिमलिया में चल रहे कार्यों को पूरा कर जलापूर्ति शुरू कराने के निर्देश दिये.
उन्होंने शहरी जलापूर्ति योजना के सुदृढ़ीकरण के लिए नगर विकास विभाग से प्राप्त राशि द्वारा क्रियान्वित की जा रही योजना की जानकारी ली. कहा कि इंटर कनेक्शन को छोड़ कर कार्यों को गर्मी के बाद पूरी करायें, जिससे गर्मी में पेयजलापूर्ति पर कोई प्रभाव नहीं पड़े. बैठक में अभियंता प्रमुख, क्षेत्रीय मुख्य अभियंता, नागरिक अंचल व यांत्रिक अंचल के अधीक्षण अभियंता समेत सभी असैनिक, नागरिक व यांत्रिक के सभी कार्यपालक अभियंता शामिल थे.
50 वर्षों से अखबार बांट रहे शिवशंकर प्रजापति
इंसान की तरक्की के साथ वक्त की रफ्तार भी तेज होती जा रही है. इंटरनेट, स्मार्टफोन आदि समेत कई स्रोतों से खबरें लोगों तेजी से पहुंच रही हैं. इसके बावजूद आज भी अखबार खबरों का विश्वसनीयऔर प्रमुख स्रोत के रूप में अपनी जगह पर कायम हैं. सुबह-सवेरे लोगों के दरवाजे तक अखबार पहुंचाने का काम चुनौतीपूर्ण होता है.
लेकिन, इन चुनौतियों को मात देते हुए ‘हॉकर’ पाठकों तक अखबार पहुंचा कर ही दम लेते हैं. कड़ाके की ठंड हो या फिर फिर मूसलधार बारिश, हॉकर के कदम कभी नहीं थमते. हालांकि, अखबार पढ़ते हुए शायद ही लोगों को इनका ख्याल आता होगा, क्योंकि इनके बारे में आज तक किसी ने चर्चा ही नहीं की है. ‘प्रभात खबर’ एक नियमित कॉलम प्रकाशित कर रहा, जिसमें सुबह के इन साथियों और अखबार के अनसंग हीरो के व्यक्तिगत जीवन की कहानी और जीवट से पाठकों को रूबरू कराया जायेगा.
रांची : शिवशंकर प्रजापति उम्र के सातवें दशक में भी किसी भी युवा से ज्यादा चुस्त दुरुस्त दिखते हैं. पिछले पचास वर्षों से अलसुबह उठकर अखबार का बंडल उठा कर वे घर-घर पहुंचाते रहे हैं. कई दशक तो यह काम साइकिल से ही किया (अब स्कूटी आ गयी है). सर्दी का मौसम हो या मूसलधार बारिश. एक-एक पाठक के यहां वे बिना नागा के अखबार पहुंचाते रहे. उनकी वजह से बीआइटी, गेतलातू अौर आसपास के क्षेत्र के लोग दीन-दुनिया की खबरों से रूबरू हो पाते हैं.
दादा, आपने यह काम कब से शुरू किया? इस सवाल पर वे कहते हैं : 1970 के आसपास से यह काम कर रहा हूं. सातवीं तक पढ़ाई की थी. घर की स्थिति ठीक नहीं थी. ऐसे में अखबार बांटने का काम मिला, तो कर लिया. शुरुआती दौर में 12 कॉपियां बांटता था. धीरे-धीरे संख्या बढ़ती गयी. अब हर दिन 190 कॉपियां बांटता हूं. मेरे दो बेटे भी इसी काम में लगे हैं, तो मिलाजुलाकर हमारे घर का गुजारा चल जाता है. मैंने अखबार बांटकर ही अपने घर को चलाया. यही काम कर बेटे-बेटी की शादी भी की. यह काम मैं करता रहूंगा, जब तक शरीर साथ देगा.
1986-87 के समय की बात है. मैं अखबार बांटने निकला था, तो खबर मिली कि मेरा बेटा नहीं रहा. मैंने फिर भी अखबार बांटने का काम नहीं छोड़ा. लगभग छह माह बाद बेटी का भी निधन हो गया. मैं टूट गया था. मगर मुझे पता था कि मुझे फिर से उठना ही होगा. मैंने अपना काम जारी रखा और कर भी क्या सकता था?
मैंने बताया था कि मेरा काम ही मेरी पहचान है. बीआइटी इलाके में लोग मुझे इसी काम की वजह से पहचानते हैं. पचास वर्षों में सुबह उठकर अखबार बांटने के काम की वजह से मेरी सेहत अच्छी हो गयी. मुझे याद नहीं कि मैं कभी बीमार पड़ा हूं.
शिवशंकर प्रजापति

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