रांची : 15 माह में किसी अस्पताल में ऑक्सीजन की शुद्धता जांचने नहीं गये ड्रग इंस्पेक्टर

राजीव पांडेय ये हाल है! गाइड लाइन जारी कर सो गया औषधि निदेशालय रांची : ‘ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट’ के तहत अस्पतालों में मरीजों को दिया जानेवाला ऑक्सीजन औषधि की श्रेणी में आता है. इसकी शुद्धता की जांच औषधि निदेशालय के जिम्मे है. करीब दो साल पहले ‘प्रभात खबर’ में इससे संबंधित खबर छपने के […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 16, 2019 9:04 AM
राजीव पांडेय
ये हाल है! गाइड लाइन जारी कर सो गया औषधि निदेशालय
रांची : ‘ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट’ के तहत अस्पतालों में मरीजों को दिया जानेवाला ऑक्सीजन औषधि की श्रेणी में आता है. इसकी शुद्धता की जांच औषधि निदेशालय के जिम्मे है.
करीब दो साल पहले ‘प्रभात खबर’ में इससे संबंधित खबर छपने के बाद औषधि निदेशालय हरकत में आया और राजधानी के अस्पतालों में ऑक्सीजन की गुणवत्ता की जांच करायी. 11 अक्तूबर 2017 को राज्य के सभी अस्पतालाें के लिए ऑक्सीजन की व्यवस्था को लेकर गाइड लाइन जारी किया गया. साथ ही इसकी निगरानी की जिम्मा औषधि निरीक्षकों को दिया गया था. मगर अफसोस, बीते 15 महीनों में औषधि निरीक्षकों ने किसी भी अस्पताल में ऑक्सीजन की शुद्धता की जांच ही नहीं की.
जानकार बताते हैं कि अस्पतालों मरीजों को ऑक्सीजन देने के नाम पर मरीजों से मोटीरकम ली जाती है. लेकिन मरीजों को जो ऑक्सीजन दिया जा रहा है, वह शुद्ध है या नहीं इसकी कोई जांच नहीं करता है.
जाहिर है कि निगरानी के अभाव में अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति व्यवस्था पहले जैसी ही होगी. गौरतलब है कि प्रभात खबर ने जब तीन नवंबर 2016 को ‘अस्पतालाें में ऑक्सीजन की शुद्धता की जांच नहीं होती’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की, तो औषधि निदेशालय हरकत में आया और तीन सदस्यीय जांच टीम गठित की, जिसमें औषधि निरीक्षक प्रणव प्रभात, उत्कलमणी और प्रतिभा झा शामिल थीं. इन्होंने राजधानी के अस्पतालाें की जांच की. इस दौरान कई अस्पतालों में ऑक्सीजन आपूर्ति से जुड़ी गड़बड़ियां मिली थीं.
क्या है नियम
पीएसए ऑक्सीजन जेनरेटर के इंपोर्ट से संबंधित सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन, भारत सरकार के पत्रांक संख्या 29 मार्च 2011-डीसी-146 में स्पष्ट किया गया है कि ऑक्सीजन का उपयोग इलाज में किया जायेगा. ऑक्सीजन का निर्माण ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट की धाराओं में शामिल है. आैषधी एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 की धारा-3 बी के अनुसार मेडिकल ऑक्सीजन औषधि के अंतर्गत आता है, इसलिए इसके निर्माण, भंडारण, वितरण व विक्रय के लिए औषधि व प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 व नियमावली 1945 के तहत निर्माण व विक्रय औषधि अनुज्ञप्ति आवश्यक है. ऑक्सीजन को जीवन रक्षक दवा मानते हुए नेशनल लिस्ट ऑफ एसेंसियल मेडिसिन में रखा गया है.
प्रभात खबर की पहल
1. प्रभात खबर ने 1 नवंबर 2016 को सबसे पहले ऑक्सीजन की शुद्धता को लेकर सवाल उठाये थे.
2. प्रभात खबर में खबर छपने के बाद औषधि निदेशालय ने अस्पतालों में ऑक्सीजन की शुद्धता को लेकर जांच शुरू की.
3़ 11 अक्तूबर 2017 को निदेशालय ने सभी अस्पतालों के लिए गाइड लाइन जारी कर ऑक्सीजन का रखरखाव बेहतर बनाने का आदेश दिया.

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