इटकी : यक्ष्मा आरोग्यशाला के अिधकांश वार्ड हुए बंद, भवन हो रहे हैं जर्जर

सुबोध सिन्हा वार्डों व आवासीय भवनों के खिड़की-दरवाजे दिनोंदिन हो रहे गायब इटकी : राज्य की एकमात्र इटकी यक्ष्मा आरोग्यशाला बंद होने के कगार पर है. राज्य सरकार के निर्देश पर आरोग्यशाला में यक्ष्मा रोगियों को भर्ती किये जाने का कार्य लगभग बंद हो गया है. इस वजह से आरोग्यशाला के अधिकांश वार्ड बंद हो […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 14, 2019 9:37 AM
सुबोध सिन्हा
वार्डों व आवासीय भवनों के खिड़की-दरवाजे दिनोंदिन हो रहे गायब
इटकी : राज्य की एकमात्र इटकी यक्ष्मा आरोग्यशाला बंद होने के कगार पर है. राज्य सरकार के निर्देश पर आरोग्यशाला में यक्ष्मा रोगियों को भर्ती किये जाने का कार्य लगभग बंद हो गया है.
इस वजह से आरोग्यशाला के अधिकांश वार्ड बंद हो गये हैं. वार्डों के भवन व कर्मचारियों के आवास जर्जर हो चुके हैं. रोगियों व कर्मचारियों की कमी के कारण खाली पड़े वार्डों व आवासीय भवनों से खिड़की-दरवाजे गायब होते जा रहे हैं. आवास व वार्डों के समक्ष झाड़ी की भरमार हो गयी है.
जानकारी के अनुसार ब्रिटिश शासनकाल में 1928 में 350 एकड़ में स्थापित आरोग्यशाला में 455 रोगियों की इलाज की व्यवस्था है. राष्ट्रीय पुनरीक्षित यक्ष्मा नियंत्रण कार्यक्रम के तहत राज्य के सभी जिलों व प्रखंडों में इलाज की व्यवस्था होने के कारण आरोग्यशाला में यक्ष्मा रोगियों का आना कम हो गया है.
सरकार के निर्देश पर इलाज के लिए आरोग्यशाला पहुंचे रोगियों की जांच व आवश्यक परामर्श देकर उन्हें वापस संबंधित प्रखंडों में भेज दिया जा रहा है. वर्तमान में यहां गंभीर रूप से यक्ष्मा रोग से पीड़ित एमडीआर के 15 रोगी सहित करीब 30 मरीज ही भर्ती हैं. आरोग्यशाला में चिकित्सक व कर्मचारियों की भी घोर कमी है. नौ चिकित्सक सहित करीब दो सौ कर्मचारी की पद स्वीकृति के विरुद्ध वर्तमान में मात्र पांच चिकित्सक सहित 70 कर्मचारी कार्यरत हैं.
इस संबंध में पूछे जाने पर आरोग्यशाला के प्रभारी अधीक्षक डॉ रंजीत प्रसाद ने कहा कि प्रखंड व गांव स्तर पर यक्ष्मा रोगियों के इलाज की सुविधा होने से यहां मरीजों का आना कम हो गया है. यहां सुपर स्पेशलिटी अस्पताल खोले जाने की सरकार की योजना है. इसकी प्रक्रिया जारी है.

Next Article

Exit mobile version