पूछताछ में नक्सली सुनील मुर्मू का खुलासा, अपने सहयोगियों के नाम पर संपत्ति अर्जित करते हैं नक्सली

नक्सली सुनील मुर्मू और महावीर मांझी से एनआइए के अधिकारियों ने की पूछताछ रांची : गिरिडीह से गिरफ्तार हुए नक्सलियों के पास से बरामद एटीएम कार्ड और आधार कार्ड का इस्तेमाल नक्सली कहीं लेवी के पैसे को दूसरे सहयोगी के नाम पर निवेश करने के लिए तो नहीं करते थे, इस बिंदु पर जानकारी जुटाने […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 28, 2018 6:27 AM
नक्सली सुनील मुर्मू और महावीर मांझी से एनआइए के अधिकारियों ने की पूछताछ
रांची : गिरिडीह से गिरफ्तार हुए नक्सलियों के पास से बरामद एटीएम कार्ड और आधार कार्ड का इस्तेमाल नक्सली कहीं लेवी के पैसे को दूसरे सहयोगी के नाम पर निवेश करने के लिए तो नहीं करते थे, इस बिंदु पर जानकारी जुटाने के लिए एनआइए के अधिकारियों ने नक्सली सुनील मुर्मू से पूछताछ की. बताया जाता है कि उसने एनआइए के अधिकारियों को पूछताछ में कई चौंकाने वाली जानकारी दी है. उसने इस बात की जानकारी दी है कि नक्सली अपने सहयोगी के नाम पर संपत्ति अर्जित करते हैं. इस बिंदु पर और अधिक जानकारी एकत्र करने के लिए एनआइए के अधिकारी मामले में आगे जांच कर रहे हैं.
सुनील मुर्मू गिरिडीह जिला के मधुबन थाना क्षेत्र का रहने वाला है. एनआइए के अधिकारियों ने बोकारो के महुआडांड़ निवासी महावीर मांझी से भी कई बिंदुओं पर पूछताछ की. उसने भी कई महत्वपूर्ण जानकारी दी है. हालांकि मामले में महावीर मांझी से गिरिडीह के मामले में पूछताछ चल रही है या किसी दूसरे मामले में भी, इसकी आधिकारिक पुष्टि किसी पुलिस अधिकारी ने नहीं की है. दोनों 28 मई तक एनआइए की हिरासत में रहेंगे.
उल्लेखनीय है कि पांच मार्च की देर रात गिरिडीह के डुमरी से कई नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया था.उनके पास से पुलिस ने भारी मात्रा में अत्याधुनिक हथियार और गोली सहित अन्य सामान बरामद किये थे. बरामद सामान में 60 एटीएम कार्ड, एकाउंट खोलने के बाद बैंक की ओर से जारी पत्र (जिसमें एकाउंट खोलने लिए बधाई देने संबंधी बात थी) व 1125 आधार कार्ड शामिल हैं. यह केस बाद में सरकार के निर्देश पर एनआइए को ट्रांसफर कर दिया गया था. बाद में मामले की जांच के लिए एनआइए ने भारत सरकार के निर्देश पर अलग से केस दर्ज किया था.
केस की आरंभिक जांच के दौरान एनआइए के अधिकारियों को इस बात की जानकारी मिली थी कि माओवादी लेवी के रूप में वसूले गये पैसे का उपयोग अपने नजदीकी सहयोगी के नाम पर संपत्ति खरीदने के लिए करने वाले थे.

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