झारखंड : कमेटी की सिफारिशों पर कानूनी राय ले रही है सरकार, मुख्यमंत्री ने की महाधिवक्ता से बात

रांची : झारखंड में 11 गैर अनुसूचित जिलों में नियोजन नीति की समीक्षा के लिए बनी उच्चस्तरीय कमेटी की सिफारिशों पर सरकार महाधिवक्ता (एजी) से कानूनी परामर्श लेगी. कानूनी पहलुओं पर विचार-विमर्श के बाद ही सरकार कमेटी की अनुशंसाओं को लागू करने पर विचार करेगी. सूत्रों के अनुसार, बताया जाता है कि मुख्यमंत्री रघुवर दास […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 19, 2018 8:31 AM
रांची : झारखंड में 11 गैर अनुसूचित जिलों में नियोजन नीति की समीक्षा के लिए बनी उच्चस्तरीय कमेटी की सिफारिशों पर सरकार महाधिवक्ता (एजी) से कानूनी परामर्श लेगी. कानूनी पहलुओं पर विचार-विमर्श के बाद ही सरकार कमेटी की अनुशंसाओं को लागू करने पर विचार करेगी.
सूत्रों के अनुसार, बताया जाता है कि मुख्यमंत्री रघुवर दास ने महाधिवक्ता अजीत कुमार से बातचीत भी की है, उनसे राय ली. पूछे जाने पर महाधिवक्ता ने बताया, अभी सरकार की अोर से अधिकृत रूप से लीगल ओपिनियन नहीं मांगा गया है.
जरूरत पड़ी, तो लीगल ओपिनियन दिया जायेगा. बताया जाता है कि महाधिवक्ता से कानूनी परामर्श मिलने के बाद सरकार इस मामले को कैबिनेट में ले जायेगी. कैबिनेट से मंजूरी के बाद ही कमेटी की अनुशंसा लागू की जायेगी. सरकार की ओर से जल्द से जल्द इस मामले में निर्णय लेने की तैयारी की जा रही है, ताकि सरकारी नियुक्तियों में ज्यादा विलंब नहीं हो.
खतियान के बिना आरक्षण का लाभ नहीं
सरकार अगर कमेटी की अनुशंसाओं को मान लेती है, तो झारखंड में सरकारी नियुक्तियों में आरक्षण की श्रेणी में आनेवाली जातियों को खतियान के बिना आरक्षण का लाभ नहीं मिल पायेगा.
खतियान में नाम नहीं रहने पर आरक्षण की श्रेणी में आनेवाली जातियों के अभ्यर्थियों को भी स्थानीय के लिए आरक्षित नौकरियों में सामान्य वर्ग की तरह माना जायेगा, भले ही वे राज्य सरकार की ओर से लागू की गयी स्थानीय नीति (1985 से पहले से झारखंड में बसनेवाले स्थानीय) के मापदंड को क्यों न पूरा करते हों.
कमेटी ने मुख्यमंत्री को सौंपी अपनी रिपोर्ट में तृतीय व चतुर्थ वर्ग में केवल जिले में ही नहीं, राज्य स्तरीय नियुक्ति में भी स्थानीय निवासी की पात्रता को आवश्यक बताया गया है. सभी नियुक्तियों में अधिकतम उम्र सीमा 45 वर्ष करने की अनुशंसा की है.

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