सरकार के खिलाफ मुहिम में चुनावी गठबंधन दूर की कौड़ी, JMM ने नहीं खोला पत्ता, कांग्रेस आलाकमान के भरोसे

गठबंधन का खाका तैयार करना अभी अासान नहीं है, क्याेंकि दलों के बीच कई पेंच होंगे रांची : सरकार के खिलाफ विपक्ष गोलबंद हो रहा है़ राज्य के सभी विपक्षी दलों ने पिछले दिनों सरकार के खिलाफ साझा मुहिम चलाने का फैसला किया है़ कांग्रेस नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय की पहल पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 28, 2017 7:01 AM
गठबंधन का खाका तैयार करना अभी अासान नहीं है, क्याेंकि दलों के बीच कई पेंच होंगे
रांची : सरकार के खिलाफ विपक्ष गोलबंद हो रहा है़ राज्य के सभी विपक्षी दलों ने पिछले दिनों सरकार के खिलाफ साझा मुहिम चलाने का फैसला किया है़
कांग्रेस नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय की पहल पर विपक्षी दलों व जनसंगठनों की बैठक बुलायी गयी थी़ इसमें प्रदेश के सभी विपक्षी पार्टियों ने शिरकत की. जनमुद्दों पर आंदोलन की रणनीति बनी और कार्यक्रम भी तैयार हुए़ नेताओं ने महागठबंधन पर भी चर्चा की़ इन सब के बावजूद विपक्षी दलों के लिए अभी गठबंधन दूर की कौड़ी है़ गठबंधन का खाका तैयार करना अभी अासान नहीं है, क्याेंकि दलों के बीच कई पेंच होंगे़
गठबंधन को लेकर क्या है पेंच : हालांकि झाविमो ने गठबंधन में शामिल होने के लिए हाथ बढ़ाया है़ झाविमो चाहता है कि भाजपा के खिलाफ मजबूत गोलबंदी हो़ लेकिन झामुमो गठबंधन को लेकर बहुत उत्साहित नहीं है़ झामुमो ने अपना पत्ता नहीं खोला है़
वह विपक्षी दलों के बीच अपनी जमीनी ताकत की वजह से बार्गेन की स्थिति में है़ वह कांग्रेस और झाविमो को बैकफुट पर लाना चाहता है़ वहीं कांग्रेस का रास्ता दिल्ली से खुलता है़ प्रभारी आरपीएन सिंह ने भी साफ किया है कि गठबंधन को लेकर शीर्ष के नेता ही तय करेंगे, प्रदेश के नेता अधिकृत नहीं है़ झारखंड में विपक्षी दलों की एकता में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की भी भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता है़ गठबंधन में राजद जैसे छोटे दलों की भी अपनी दावेदारी होगी़ ऐसे में प्रदेश में गठबंधन का कोई खाका जल्दी में बनता नहीं दिख रहा है़
नेता प्रोजेक्ट करने में है परेशानी
सबसे बड़ी परेशानी यह है कि विपक्ष खेमा में एक सर्वमान्य नेता तय करना मुश्किल है़
क्योंकि सबकी अपनी-अपनी दावेदारी है़ झामुमो का प्रेशर होगा कि हेमंत सोरेन को आगे कर चुनाव लड़ा जाये, वहीं झाविमो, कांग्रेस को इसमें परेशानी हो सकती है़ झाविमो की दलील है कि चुनाव साथ लड़ें, जिसकी पास जितनी सीट होगी उसकी दावेदारी वैसी होगी़ कांग्रेस का भी मानना है कि किसी को नेता प्रोजेक्ट कर लड़ने में नुकसान भी सकता है़