रिनपास के 100 वर्ष : हेमंत सोरेन बोले- मनोरोगियों के इलाज में करें अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल
100 Years of RINPAS: झारखंड की राजधानी रांची के प्रतिष्ठित मनश्चिकित्सालय रांची इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरो साइकेट्री एंड एलाइड साइंस (रिनपास) के 100 वर्ष पूरे होने पर विसेष समारोह का आयोजन हुआ. इसमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि मनोरोगियों के इलाज में अत्याधुनिक तकनीक के इस्तेमाल पर डॉक्टर जोर दें. सरकार संस्थान की हर कमी को दुरुस्त करने के लिए तैयार है.
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100 Years of RINPAS: रांची इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरो साइकेट्री एंड एलाइड साइंस (रिनपास) में जल्द कई बदलाव देखने को मिलेंगे. रिनपास में आधारभूत संरचना तथा शैक्षणिक व्यवस्था को मजबूत किया जायेगा. यहां जो भी कमियां हैं, उसकी विस्तृत समीक्षा कर उसे दूर करेंगे. यहां मानसिक मरीजों को बेहतर सुविधाएं मिले, उनका अत्याधुनिक तकनीक से इलाज हो, इस दिशा में राज्य सरकार सभी आवश्यक कदम उठायेगी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गुरुवार को रिनपास के 100 वर्ष पूरा होने के अवसर पर आयोजित शताब्दी वर्ष समारोह के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं.
रिनपास जैसे संस्थानों की भूमिका तेजी से बढ़ रही है
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर सेवा, समर्पण और विश्वास के गौरवशाली 100 वर्ष पूरे होने पर रिनपास से जुड़े सभी लोगों को बधाई और शुभकामनाएं दी. कहा कि आज के समय में रिनपास जैसे संस्थानों की भूमिका तेजी से बढ़ रही है. जिस तरह लोग मानसिक अवसाद की गिरफ्त में आ रहे हैं, उन्हें बेहतर काउंसलिंग और इलाज की सुविधा उपलब्ध कराना बेहद जरूरी है.
बेहतर से बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित की जायेगी
हालांकि, कोई भी व्यक्ति यह नहीं चाहता कि उसे रिनपास जैसे संस्थान में आने की नौबत आये, लेकिन मानसिक परेशानी, मजबूरी और परिस्थितियां कई लोगों को यहां तक आने को मजबूर करती हैं. ऐसे में यहां आने वाले मनोरोगी पूरी तरह स्वस्थ होकर जायें, इसके लिए यहां इलाज की बेहतर से बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित की जायेगी.
100 Years of RINPAS: इलाज में आधुनिक तकनीक का हो इस्तेमाल
मुख्यमंत्री ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि मानसिक समस्याओं से जूझ रहे लोगों के इलाज में अत्याधुनिक तकनीक का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने की दिशा में हमें आगे बढ़ना होगा. रिनपास में मरीजों की मानसिक समस्याओं के समाधान के लिए जो भी डिजिटल चिकित्सा तकनीक की जरूरत होगी, उसे उपलब्ध कराया जायेगा.
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मरीज को छोड़ देते हैं परिजन, वापस नहीं ले जाते
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस बात पर चिंता जतायी कि कई परिजन अपने मरीज को यहां छोड़कर चले जाते हैं. फिर उन्हें कभी लेने भी नहीं आते. कई बार घरों में ही मनोरोगी को अलग-अलग तरीके से ‘कैद’ कर रखा जाता है, जो हमारे परिवार और समाज के लिए अच्छा नहीं है. ऐसी परिस्थिति में मरीजों की मनःस्थिति कैसी होती होगी, उसकी कल्पना हम नहीं कर सकते.
रिनपास की स्थापना करने वाले थे दूरदर्शी
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 1925 में जब मनोचिकित्सा के क्षेत्र में इस संस्थान की स्थापना हुई थी, उस वक्त इसकी क्या जरूरत रही होगी, यह हम तो नहीं बता सकते हैं, लेकिन आज ऐसे संस्थान की जो अहमियत है, वह यह बताने के लिए काफी है कि जिन्होंने भी 100 वर्ष पहले रिनपास की नींव रखी होगी, वे कितने दूरदर्शी रहे होंगे.
समारोह के महत्वपूर्ण पहलू
- रिनपास पर आधारित पोस्टल स्टाम्प जारी किया गया.
- रिनपास की स्मारिका तथा 4 पुस्तकों का विमोचन हुआ.
- टेली मेंटल हेल्थ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का शुभारंभ हुआ.
- डिजिटल अकादमी की शुरुआत की गयी.
रिनपास के रिटायर्ड डॉक्टरों का हुआ सम्मान
रिनपास के अवकाशप्राप्त निदेशक डॉ पीके चक्रवर्ती, डॉ एनएन अग्रवाल, डॉ अशोक कुमार प्रसाद, डॉ अशोक कुमार नाग और डॉ केके सिंह, रिटायर्ड मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ प्रवीण कुमार, सेवानिवृत्त फैकल्टी मेंबर डॉ एएन वर्मा तथा डॉ केसी सेंगर को अहम सेवा तथा योगदान के लिए सम्मानित किया गया.
रक्षा राज्यमंत्री समेत ये लोग थे समारोह में मौजूद
इस अवसर पर केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ, स्वास्थ्य मंत्री डॉ इरफान अंसारी, विधायक राजेश कच्छप, विधायक सुरेश कुमार बैठा, झारखंड राज्य समन्वय समिति के सदस्य राजेश ठाकुर, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय, स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज (NIMHANS), बेंगलुरु की निदेशक डॉ प्रतिमा मूर्ति, झारखंड परिमंडल के चीफ पोस्ट मास्टर जेनरल विधान चंद्र रॉय, रिनपास के निदेशक डॉ अमूल रंजन सिंह समेत कई गणमान्य लोग मौजूद थे.
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