समाज में बदलाव की नई इबारत लिख रही हैं महिलाएं

बोकारो की महिलाएं अब सिर्फ सपने नहीं देख रहीं, बल्कि उन्हें हकीकत में बदल भी रही हैं.

By VIKASH NATH | March 26, 2025 4:48 PM

फोटो : 26 घाटो 1 पेपर प्लेट बनाती शीला देवी 26 घाटो 2 सामाजिक बदलाव के कार्य में लगी लीला देवी रवींद्र कुमार घाटोटांड़. बोकारो की महिलाएं अब सिर्फ सपने नहीं देख रहीं, बल्कि उन्हें हकीकत में बदल भी रही हैं. नेतृत्व प्रशिक्षण, स्वयं सहायता समूहों, सामुदायिक सक्रियता, शिक्षा व निर्णय लेने की भूमिकाओं में आगे बढ़ते हुए, वे अपने अधिकारों को मजबूती से स्थापित कर रही हैं. ललिता देवी, लीला देवी , शीला देवी जैसी महिलाएं अपने समाज में बदलाव की नई इबारत लिख रही हैं. वे समाज में प्रेरक उदाहरण पेश करते हुए सतत विकास की दिशा में अहम भूमिका निभा रही हैं. टाटा स्टील फाउंडेशन की एक महत्वपूर्ण पहल दिशा के तहत इन तीनों महिलाओं ने प्रशिक्षण लिया. प्रशिक्षण के उपरांत ललिता, लीला व शीला जैसी कई महिलाओं की जिंदगी बदल गयी है .इन महिलाओं ने अपनी राह खुद तय की है और आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाया है . वेस्ट बोकारो में ही 300 से अधिक महिलाओं ने दिशा नेतृत्व प्रशिक्षण लिया है, जबकि पिछले एक साल में विभिन्न स्थानों पर करीब 7000 महिलाएं इस प्रशिक्षण को पूरा कर चुकी हैं. शीला ने रोजगार के नए अवसर सृजित किये शीला देवी ने नेतृत्व की मिसाल कायम करते हुए दिशा मॉड्यूल से मिली सीख से अपने व्यवसाय की नींव रखी .उन्होंने पेपर प्लेट निर्माण का कार्य शुरू किया. टाटा स्टील फाउंडेशन की प्रारंभिक वित्तीय सहायता व स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के सामूहिक प्रयासों से उन्होंने इस पहल को सफल बनाया. उनके मार्गदर्शन में महिलाओं को न सिर्फ आर्थिक स्वतंत्रता मिली, बल्कि आत्मनिर्भर बनने का नया रास्ता भी खुला. आज उनके समूह की हर महिला प्रति माह लगभग 8,000₹ कमा रही है, जिससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है, बल्कि उनमें आत्मविश्वास भी बढ़ता है. यह बदलाव न सिर्फ उनके जीवन को संवार रहा है, बल्कि उन्हें समाज में प्रभावशाली परिवर्तनकारी शक्ति के रूप में उभरने का अवसर भी दे रहा है. वहीं ललिता देवी स्वयं सहायता समूह से जुड़ने व दिशा पहल में नामांकन लेने से पहले आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रही थी अब वह अपने समुदाय की एक प्रभावशाली लीडर बन गई है व्यवसाय शुरू कर परिवार की आमदनी में योगदान दे रही है . इधर लीला ने अपनी नई सीखी हुई कौशल का उपयोग अपने गांव के बच्चों को शिक्षित करने व उनकी शैक्षिक सहायता करने में किया .साथ ही वह महिलाओं के अधिकार, शराब मुक्ति व घरेलू हिंसा से निपटने जैसे गंभीर मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं. एक साल के भीतर वेस्ट बोकारो के 14 पंचायतों के 28 गांवों ने इस पहल को अपनाया है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है