…हाल डाड़ी प्रखंड के स्वास्थ्य उपकेंद्र का : लाखों खर्च, ताले में बंद इलाज
डाड़ी प्रखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति सरकार के दावों से बिल्कुल विपरीत है
चार उपकेंद्र भवनों का उपयोग नहीं हुआ, खर्च हुए एक करोड़, हो गया है खंडहर 8गिद्दी2-जीणोद्धार के बाद भी लटक रहा है महीनों से ताला गिद्दी. डाड़ी प्रखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति सरकार के दावों से बिल्कुल विपरीत है. वर्षों पहले कई पंचायतों में लाखों रुपये खर्च कर स्वास्थ्य उपकेंद्रों की इमारतें तो बना दी गयीं, लेकिन उनमें चिकित्साकर्मियों की कोई व्यवस्था नहीं की गयी. हुआग, कनकी, रैलीगढ़ा पूर्वी और हेसालौंग पंचायतों में लगभग 10-12 वर्ष पहले 25 लाख रुपये की लागत से उपकेंद्र भवनों का निर्माण हुआ था, लेकिन हुआग और हेसालौंग में ये भवन कभी उपयोग में नहीं आये. खिड़की-दरवाजे चोरी हो गये और भवन खंडहर में तब्दील हो गया. हाल ही में हुआग में डीएमएफटी फंड से 21 लाख रुपये खर्च कर भवन का जीर्णोद्धार किया गया, जिसे स्वास्थ्य विभाग को हैंडओवर भी कर दिया गया है, लेकिन चार महीने से वहां ताला लटका हुआ है. हेसालौंग का भवन अब भी खंडहर अवस्था में है. कनकी और रैलीगढ़ा पूर्वी पंचायतों में उपकेंद्र कभी-कभी खुलते हैं, लेकिन वहां बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं। रैलीगढ़ा पूर्वी का भवन भी जर्जर है और चारों ओर झाड़ियाँ उग आई हैं. भवन की खराब स्थिति के कारण नहीं बैठती एएनएम व सीएचओ कुछ माह पहले रैलीगढ़ा पूर्वी में पायल शर्मा को सीएचओ और संगीता कुमारी को एएनएम नियुक्त किया गया, लेकिन भवन की खराब स्थिति के कारण वे केंद्र में नहीं बैठतीं. कई बार जिला प्रशासन को पत्र भेजे गये हैं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई. एक लाख की आबादी पर मात्र दो चिकित्सक डाड़ी प्रखंड में कागजों पर आठ स्वास्थ्य उपकेंद्र चल रहे हैं. पूरे प्रखंड की एक लाख आबादी के लिए मात्र दो चिकित्सक, दो लैब टेक्नीशियन, 14 एएनएम, दो एमपीडब्ल्यू और छह सीएचओ कार्यरत हैं. इतने सीमित संसाधनों के भरोसे ही चिकित्सा सेवा दी जा रही है. प्रखंड गठन को 17 वर्ष हो चुके हैं, लेकिन अब तक प्राथमिक या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना नहीं हुई है. चिकित्सा व्यवस्था को बेहतर बनाने की लगातार कोशिश की जा रही है सूत्रों के अनुसार, स्वास्थ्य विभाग अब मिश्राइनमोढ़ा और रैलीगढ़ा पश्चिमी पंचायत में नए उपकेंद्र भवनों के निर्माण की योजना बना रहा है, लेकिन चिकित्साकर्मियों की संख्या बढ़ाने को लेकर विभाग गंभीर नहीं दिखता. डाड़ी प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अशोक राम का कहना है कि चिकित्सा व्यवस्था को बेहतर बनाने की लगातार कोशिश की जा रही है, लेकिन जमीनी हालात कुछ और ही कहानी बयां करते हैं.
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