काली पूजा पर जगमग हो उठा रजरप्पा मंदिर, मां छिन्नमस्तिके की हुई विशेष पूजा

रजरप्पा/रांची : अमावस्या की मध्य रात में रजरप्पा मंदिर में मां काली व मां छिन्नमस्तिके देवी की विशेष पूजा हुई. रजरप्पा स्थित मां छिन्नमस्तिके मंदिर व काली मंदिर की आकर्षक विद्युत सज्जा की गयी और गुब्बारों से सजाया गया है. मंगलवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने रजरप्पा मंदिर पहुंच कर मां छिन्नमस्तिके की पूजा […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 7, 2018 7:51 AM
रजरप्पा/रांची : अमावस्या की मध्य रात में रजरप्पा मंदिर में मां काली व मां छिन्नमस्तिके देवी की विशेष पूजा हुई. रजरप्पा स्थित मां छिन्नमस्तिके मंदिर व काली मंदिर की आकर्षक विद्युत सज्जा की गयी और गुब्बारों से सजाया गया है.
मंगलवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने रजरप्पा मंदिर पहुंच कर मां छिन्नमस्तिके की पूजा की. यहां विभिन्न हवन कुंडों में साधक व श्रद्धालुओं ने हवन व जाप किया. उधर, कुमुद प्रीता ट्रस्ट परिसर स्थित दक्षिणेश्वर काली मंदिर में भी विशेष पूजा की गयी. भंडारा का आयोजन भी किया गया.
13 हवन कुंडों में हुआ विशेष अनुष्ठान : काली पूजा को लेकर मंदिर में स्थापित 13 हवन कुंडों में भक्तों व साधकों ने विशेष अनुष्ठान कर सिद्धि की प्राप्ति की. पूरा मंदिर परिसर मंत्रोच्चार से रात भर गूंज रहा था. मंदिर के पुजारी अजय पंडा, अशेष पंडा, असीम पंडा, सुभाशीष पंडा, सुबोध पंडा, लोकेश पंडा, गुड्डू पंडा, सुजीत पंडा व रितेश पंडा ने हवन कराया.
काली पूजा का है विशेष महत्व
अमावस्या के दिन रजरप्पा में तंत्र-मंत्र की देवी महामाया मां काली की पूजा का विशेष महत्व है. मां छिन्नमस्तिके व मां काली दोनों एक ही कुल की हैं. इस कारण रजरप्पा में काली पूजा खास होती है. यह स्थान अमावस्या की रात में मंत्र सिद्धि के लिए उपयुक्त माना जाता है. रजरप्पा मंदिर जंगलों से घिरा हुआ है. इसलिए एकांत वास में साधक तंत्र-मंत्र की सिद्धि प्राप्ति के लिए यहां जुटते हैं. गौरतलब हो कि तंत्र साधना के लिए असम के कामाख्या मंदिर के बाद दूसरा स्थान रजरप्पा के मां छिन्नमस्तिके मंदिर का आता है. इसलिए इस दिन निशा रात्रि में मां का पूजन हवन करने से मनोकामना पूर्ण होती है.
तंत्र साधना से लोगों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. रजरप्पा मंदिर का महत्व भैरवी-भेड़ा और दामोदर नदी के संगम स्थल होने के कारण भी बढ़ जाता है. काली पूजा अमावस्या के दिन राज्य के अलावा बिहार, बंगाल, ओड़िशा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों से श्रद्धालु व साधक रजरप्पा मंदिर पहुंचे.

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