हिट एंड रन मामले में छह माह के अंदर केस करना जरूरी है
एमएसीटी केस को लेकर कार्यशाला का जिला न्यायाधीश ने किया उद्घाटन, कहा
एमएसीटी केस को लेकर कार्यशाला का जिला न्यायाधीश ने किया उद्घाटन, कहाप्रतिनिधि, मेदिनीनगर झालसा के दिशा निर्देश व पलामू जिला के प्रधान न्यायाधीश श्री राम शर्मा के मार्गदर्शन में व जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तत्वाधान में शुक्रवार को डीडीसी के सभागार में मोटर दुर्घटना दावा अधिनियम के तहत एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला का उद्घाटन जिला व सत्र न्यायाधीश षष्टम राजकुमार मिश्रा, जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव राकेश रंजन, सदर एसडीपीओ मणि भूषण प्रसाद ने संयुक्त रूप से द्वीप प्रज्ज्वलित कर किया. मौके पर जिला व सत्र न्यायाधीश षष्टम राजकुमार मिश्रा ने कहा कि मोटर दुर्घटनाओं में पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए कानूनी प्रक्रिया को सरल बनाया गया है. बताया कि दुर्घटना की स्थिति में छह माह के भीतर दावा करना अनिवार्य है. कहा कि यदि दुर्घटना सरकारी वाहन से होती है, तो राज्य सरकार पूर्ण मुआवजा प्रदान करती है. उन्होंने कहा कि छह माह के अंदर कंपनशेसन का केस करना अनिवार्य है. हिट एंड रन मामले में ज़ख्मी होने पर 50 हजार व मृत्यु होने पर दो लाख का मुआवजा डीटीओ कार्यालय से दिया जाता है. जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव राकेश रंजन ने कहा कि एफएआर फर्स्ट एक्सीडेंट रिपोर्ट फॉर्म ए में भरा जाता है. वही 10 दिन के अंदर फॉर्म दो तैयार करना है. उसकी कॉपी विक्टिम को भी देना है. साथ ही फार्म तीन ड्राइवर से संबंधित फॉर्म है. इसको भर कर 30 दिन के अंदर देना पड़ता है.फॉर्म चार ऑनर से संबंधित है. इसे भी 30 दिन के अंदर भरकर देना है. वही फॉर्म पांच इंटरिम एक्सीडेंट रिपोर्ट है. जो 50 दिन के अंदर देना सम्बंधित टियूबनल में जमा कर देना है. फॉर्म छह बी विक्टिम से सम्बंधित हैं. जिसे भरकर अनुसंधान कर्ता को दिया जाता है. जो 60 दिन के अंदर जमा करना अनिवार्य है. वही डिटेल एक्सीडेंट रिपोर्ट फॉर्म सात भरकर ट्रियूबनल में जमा करना है. सदर एसडीपीओ मणि भूषण प्रसाद ने कहा कि तेज रफ्तार और शराब हादसे के बड़े कारण हैं. उन्होंने कहा कि अप्रैल 2022 से लेकर सितंबर 2025 तक कुल 161 मामले आए हैं. जिसमें 44 केस अनुसंधानकर्ता के स्तर पर लंबित है. जबकि 20 केस लाभुक के स्तर से लंबित है. वहीं इंश्योरेंस कंपनी मुंबई के स्तर से 28 केस लंबित है. 69 लोगों के अकाउंट में पैसा भेज दिया गया है. उन्होंने कहा कि दुर्घटना के बाद पहले गोल्डन आवर में जख्मी का सही इलाज मिलना अत्यंत आवश्यक है. यदि कोई व्यक्ति किसी घायल को अस्पताल पहुंचाता है. तो उसे इनाम दिया जाता है. उसे पुलिस या अदालत में परेशान नहीं किया जाता है. सरकार द्वारा घायल को 50 हजार तक का नि:शुल्क इलाज देने की व्यवस्था भी की गयी है. अधिवक्ता सीके मिश्र ने कहा कि मोटर दुर्घटना केस में अनुसंधानकर्ता का रोल बहुत महत्वपूर्ण होता है. मौके पर लीगल या डिफेंस काउंसिल के के अमिताभ चंद्र सिंह, डिप्टी चीफ संतोष कुमार पांडेय, डीएलएसए के संजीव कुमार, वीर विक्रम बक्सराय, उत्तम कुमार,अधिवक्ता देव कुमार शुक्ला, वीरेंद्र राम, विनोद कुमार, सुरेश राम ,सुशील उरांव ,सुबोध कुमार ,विकास कुमार तिवारी के अलावे कई पुलिस अधिकारी मौजूद थे.
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