आदिवासी समाज का इतिहास उनके नृत्य-संगीत और प्रकृति में छिपा है : मणि उरांव
आदिवासी समाज का इतिहास उनके नृत्य-संगीत और प्रकृति में छिपा है : मणि उरांव
लोहरदगा़ करमा पूर्व संध्या सांस्कृतिक समारोह एवं पूजा की तैयारी को लेकर केंद्रीय सरना समिति लोहरदगा की बैठक बीएस कॉलेज परिसर में समिति के अध्यक्ष रघु उरांव की अध्यक्षता में हुई. बैठक में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा कर कई उप-समितियों का गठन किया गया, ताकि कार्यक्रम का संचालन सुचारु रूप से हो सके. संचालन समिति, स्वागत समिति, बैच वितरण समिति, चयन समिति, बाजार समिति और स्वयंसेवक समिति सहित तमाम समितियों का निर्माण कर जिम्मेदारियां सौंपी गयी. बैठक में वक्ताओं ने कहा कि सांस्कृतिक कार्यक्रम में शामिल सभी प्रतिभागी अपने पारंपरिक वाद्ययंत्र और नृत्य-संगीत के साथ भाग लें. पूर्वजों की दी हुई धरोहर को सुरक्षित रखना जरूरी है, ताकि आदिवासी परंपरा संरक्षित रह सके और आने वाली पीढ़ियों को सीख मिल सके. आधुनिकता के नाम पर डीजे डांस जैसी गतिविधियां परंपरा को विलुप्त कर सकती हैं. मुख्य संरक्षक मणि उरांव ने कहा कि आदिवासी समाज का इतिहास उनके नृत्य-संगीत और प्रकृति में छिपा है. पेड़-पौधे, नदी-नाला, सूरज और पृथ्वी जैसे प्राकृतिक धरोहर को समझना और बचाना जरूरी है, क्योंकि प्रकृति बचेगी तो ही सृष्टि बचेगी. उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज का सबसे बड़ा दुश्मन नशा है, जिसे त्यागने की जरूरत है. बैठक में प्रोफेसर डॉ लोहरा उरांव, मणि उरांव, शशि कुमार भगत, बिफैइ उरांव, अनिल कुमार भगत, प्रोफेसर वरुण उरांव, वीरेंद्र उरांव, मुकेश उरांव, बेरी उरांव, विनोद उरांव, मतलू उरांव, संजय उरांव, नवल उरांव, अमित उरांव, जगदीश उरांव, गोविंद उरांव, सुखदेव, रंजीत उरांव, कमलेश उरांव, ममता कुमारी, मोनिका कुमारी, दीपिका कुमारी, सरोजिनी लकड़ा, पूनिता कुमारी, पूनम मिंज, गीता कुमारी, सरिता कुमारी, विवेक उरांव सहित काफी संख्या में छात्र-छात्राएं एवं बुद्धिजीवी उपस्थित थे.
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