प्रकृति की गोद में बसा है पेशरार का लावापानी, सात स्तरों पर गिरती जलधारा मोह लेती है मन
प्रकृति की गोद में बसा है पेशरार का लावापानी, सात स्तरों पर गिरती जलधारा मोह लेती है मन
लोहरदगा़ झारखंड का लोहरदगा जिला अपनी नैसर्गिक सुंदरता के लिए जाना जाता है. जिले में एक से बढ़कर एक खूबसूरत वादियां हैं, जहां प्रकृति का मनोरम दृश्य सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करता है. ऐसा लगता है मानो प्रकृति ने लोहरदगा को बड़े मनोयोग से सजाया है. जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर पेशरार प्रखंड का इलाका आज अपनी इसी खूबसूरती के लिए चर्चा में है. घने जंगल, खूबसूरत रास्ते और पक्षियों की चहचहाहट के बीच यहां स्थित ””””लावापानी जलप्रपात”””” पर्यटकों के लिए आकर्षण का मुख्य केंद्र बन गया है. सात अलग-अलग स्तरों से गिरती दूधिया जलधारा यहां आने वालों को मंत्रमुग्ध कर देती है. नक्सली खौफ से मुक्ति, अब पर्यटन का नया दौर : एक समय था जब पेशरार प्रखंड घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र के रूप में कुख्यात था. यहां उग्रवादियों की गोलियों की तड़तड़ाहट से पूरा इलाका गूंजता था. भय का आलम यह था कि ग्रामीण तो दूर, पुलिस बल भी यहां जाने से कतराते थे. लोग बम के धमाकों से सहमे रहते थे. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में जिला प्रशासन और पुलिस की तत्परता ने पेशरार की तस्वीर बदल दी है. आज पेशरार नक्सलवाद के साये से मुक्त होकर विकास की राह पर अग्रसर है. लोग अब बिना किसी हिचकिचाहट के इन हसीन वादियों का लुत्फ उठाने पहुंचते हैं. पेशरार अब भय का पर्याय नहीं, बल्कि पर्यटन का नया डेस्टिनेशन बन चुका है. सोशल मीडिया पर छाया रहता है लावापानी और केकरांग : लावापानी जलप्रपात के साथ-साथ यहां का केकरांग झरना भी अपनी सुंदरता बिखेर रहा है. पिकनिक के मौसम में यहां युवाओं की भारी भीड़ उमड़ती है. रील बनाने और सेल्फी लेने वालों के लिए यह जगह जन्नत से कम नहीं है. सोशल मीडिया पर लावापानी के अनेक वीडियो और तस्वीरें अक्सर वायरल होती रहती हैं. विकास की बात करें तो पेशरार की ऊबड़-खाबड़ सड़कें अब चकाचक हो चुकी हैं, जिससे यहां पहुंचना सुगम हुआ है. अधूरा विकास : चार किमी सड़क और पर्यटन सुविधाओं का अभाव : तमाम खूबियों के बावजूद लावापानी तक पहुंचने के लिए अंतिम चार किलोमीटर की सड़क आज भी बदहाल है. खराब रास्ते के कारण सैलानियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. इसके अलावा, इस झरने को अब तक आधिकारिक तौर पर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यदि सरकार यहां बुनियादी सुविधाएं विकसित करे और सड़क दुरुस्त कराये, तो न केवल पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी बल्कि स्थानीय लोगों को बड़े पैमाने पर रोजगार भी मिलेगा. इससे क्षेत्र की आर्थिक दशा में क्रांतिकारी बदलाव आ सकता है.
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