Jharkhand : परिंदों व इंसानों के लिए है कितना खतरनाक हैं मोबाइल टावरों के रेडिएशन? बता रहे हैं एक्सपर्ट

पक्षियों की कमी के कारण कीट-पतंगों का प्रकोप क्षेत्र में बढ़ गया है. इससे कई तरह की परेशानियां उत्पन्न हो गयी हैं. तेजी से घट रही पक्षियों की संख्या से कृषि वैज्ञानिक भी खासे चिंतित हैं. कृषि वैज्ञानिक डॉ हेमंत पांडेय ने बताया कि पक्षी वास्तव में किसानों के लिए मददगार हैं.

By Prabhat Khabar Print Desk | January 17, 2023 1:45 PM

लोहरदगा, संजय कुमार. पिछले दो-तीन वर्षों से लोहरदगा जिले के शहरी इलाकों में पक्षियों की संख्या में तेजी से कमी आयी है. अब यह समस्या ग्रामीण क्षेत्रों में भी दिखने लगी है. बाज, गौरेया, कोयल, गिद्ध की संख्या में भारी कमी आई है. हाल के दिनों में कौओं की मौत ने समस्या और बढ़ा दिया है. ग्रामीण इलाकों में बहुतायत पाए जाने वाले मैना काफी कम हो गए हैं. पंडुक तथा हारिल जैसे पक्षी भी अब यदा-कदा ही नजर आते हैं.

किसानों के मददगार पक्षियों की संख्या में कमी चिंताजनक

पक्षियों की कमी के कारण कीट-पतंगों का प्रकोप क्षेत्र में बढ़ गया है. इससे कई तरह की परेशानियां उत्पन्न हो गयी हैं. तेजी से घट रही पक्षियों की संख्या से कृषि वैज्ञानिक भी खासे चिंतित हैं. कृषि वैज्ञानिक डॉ हेमंत पांडेय ने बताया कि पक्षी वास्तव में किसानों के लिए मददगार हैं. गौरेया, कौआ, मैना जैसे पक्षी फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कई हानिकारक कीड़ों को अपना भोजन बना लेते हैं. इसके अलावा बाज चूहों पर नियंत्रण रखता है. कई बार मक्का जैसी फसलों के परागन में भी पक्षी सहायक साबित होते हैं, लेकिन इनकी संख्या में आ रही कमी से कीटों का प्रकोप बढ़ेगा. किसानों को अधिक मात्रा में कीटनाशक का प्रयोग करना पड़ेगा. इससे पर्यावरण को नुकसान ही पहुंचेगा.

क्यों घटती जा रही पक्षियों की संख्या

तेजी से घट रही पक्षियों की संख्या का विशेषज्ञ अलग-अलग कारण बताते हैं. कौओं के मरने का कारण जहां मोबाइल टावरों के रेडिएशन के अलावा बर्ड फ्लू की बीमारी को वजह बताते हैं, वहीं गौरेया, पंडुक, मैना जैसे पक्षी मोबाइल टावरों के रेडिएशन की चपेट में आने से भी कम होते जा रहे हैं. ग्रामीण इलाकों में भी मोबाइल टावरों का विस्तार तेजी से हो रहा है. ऐसे में पक्षी इनके रेडिएशन की रेंज में आकर काल के गाल में समाज जा रहे हैं.

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संक्रमित मांस के सेवन से गिद्ध एवं बाज हो रहे विलुप्त

किसानों द्वारा खेतों में गेहूं, धान, मटर जैसी फसलों की बुआई के समय कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है और ऐसे में कई बार जहरीले बीज को खाकर पक्षी मरते हैं. संक्रमित मांस खाकर पक्षी मरते हैं, जबकि संक्रमित मांस खाने से गिद्ध एवं बाज भी विलुप्त होते जा रहे हैं.

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मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए भी हैं हानिकारक

चिकित्सकों का मानना है कि मोबाइल टावर से निकलने वाला रेडिएशन परिंदों के साथ-साथ इंसानों के लिए खतरनाक है. आमतौर पर पक्षी इस रेडिएशन के सबसे करीब होते हैं, जिससे उन्हें सबसे अधिक हानि हो रही है. मोबाइल टावर से निकलने वाला रेडिएशन मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए भी नुकसानदायक है.

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