झारखंड : राष्ट्रपति ने एक ही परिवार के 8 लोगों की हत्या के दो दोषियों की दया याचिका खारिज की

नयी दिल्ली :राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दो दोषियों की दया याचिका खारिज कर दी जिन्होंने नौ साल पहले झारखंड में एक विकलांग युवक समेत एक ही परिवार के आठ सदस्यों की हत्या कर दी थी. अधिकारियों ने आज बताया कि राष्ट्रपति ने दो दोषियों मोफिल खान और मुबारक खान की याचिका खारिज कर दी है. […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 23, 2016 5:37 PM

नयी दिल्ली :राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दो दोषियों की दया याचिका खारिज कर दी जिन्होंने नौ साल पहले झारखंड में एक विकलांग युवक समेत एक ही परिवार के आठ सदस्यों की हत्या कर दी थी. अधिकारियों ने आज बताया कि राष्ट्रपति ने दो दोषियों मोफिल खान और मुबारक खान की याचिका खारिज कर दी है. इन दोनों ने जून 2007 में हनीफ खान की तेज धार वाले हथियार से उस वक्त हत्या कर दी थी जब वह झारखंड के लोहरदगा जिले के तहत मकंडू गांव में एक मस्जिद में नमाज पढ़ रहे थे.

खान की हत्या करने के बाद दोनों ने उनकी पत्नी और एक विकलांग बेटे समेत छह बेटों की भी हत्या कर दी. स्थानीय पुलिस ने मोफिल और मुबारक और दो अन्य हमलावरों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. जांच के बाद स्थानीय अदालत ने सभी आरोपियों को मौत की सजा सुनाई थी. हालांकि, झारखंड उच्च न्यायालय ने मोफिल और मुबारक की मौत की सजा को बरकरार रखा था जबकि दो अन्य दोषियों की सजा में संशोधन करके उसे आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया था. उच्चतम न्यायालय ने अक्तूबर 2014 में अपने अंतिम फैसले में इन दोनों दोषियों को सुनाई गई मौत की सजा को बरकरार रखा था.
गृह मंत्रालय के जरिए राष्ट्रपति के समक्ष दोनों ने दया याचिका दायर की थी. राष्ट्रपति सचिवालय को पिछले साल दिसंबर में दया याचिका मिली थी, जिसे खारिज कर दिया गया है.जुलाई 2012 में राष्ट्रपति बनने के बाद से प्रणब मुखर्जी ने अब तक 26 दया याचिकाओं को खारिज कर दिया है.
इनमें मुंबई हमले का दोषी अजमल कसाब और 1993 के मुंबई बम विस्फोट मामलों का दोषी याकूब मेमन भी शामिल है. राष्ट्रपति ने दो मामलों में मौत की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया है.महाराष्ट्र में लूटपाट के दौरान पांच महिलाओं और दो बच्चों की हत्या के लिए दोषी ठहराए गए जितेंद्र गहलोत उर्फ जीतू और उत्तर प्रदेश के अमरोहा में अपने परिवार के सात सदस्यों की हत्या की दोषी शबनम की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित है.

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