कमलदह झील : बेतला की गोद में छिपा सदियों पुराना अनमोल पर्यटन स्थल
कमलदह झील : बेतला की गोद में छिपा सदियों पुराना अनमोल पर्यटन स्थल
बेतला़ बेतला नेशनल पार्क के निकट कमलदह झील का सौंदर्य अनुपम है. कमल फूलों से लबालब होने के कारण इसका नाम कमलदह झील दिया गया. यह झील सदियों पुरानी है. इतिहासकारों के अनुसार जब पलामू के राजा मेदिनी राय हुआ करते थे उस समय भी यह झील मौजूद थी. राजा मेदिनीराय की रानी अपनी सहेलियों के साथ यहां स्नान करने आती थीं. वहीं, कई राजा भी शौकिया तौर पर शिकार करने के लिए अथवा तैराकी करने के लिए इस झील से लगाव रखते थे. ऐतिहासिक होने के कारण पलामू प्रमंडल के पर्यटन स्थलों की जब सैर करने के लिए पर्यटक निकलते हैं तो कमलदह झील तक पहुंचाना नहीं भूलते हैं. पर्यटकों की माने तो पलामू प्रमंडल के पर्यटन स्थलों में कमलदह झील की बराबरी करने वाला दूसरा कोई नहीं है. बेतला नेशनल पार्क के घने जंगलों की रोमांचकारी यात्रा के बीच जब लोग कमलदह झील तक पहुंचते हैं तो यहां की खूबसूरत नजारे को देखकर भाव-विभोर हो जाते हैं. इस झील का पानी कभी सूखता ही नहीं है. इसमें सालोंभर पानी रहता है और अधिकांश महीने में कमल फूल लहलहाते रहते हैं. पर्याप्त पानी होने के कारण जंगली जानवर यहां पहुंचकर अपनी प्यास बुझाते हैं. वर्षों पहले एक बाघिन ने तो अपना स्थाई बसेरा इस इलाके में बना लिया था. इस कारण उस बाघिन का हमेशा दीदार होता था. प्रवासी पक्षियों का होता है जमावड़ा : कमलदह झील की सबसे बड़ी विशेषता यह भी है कि यहां प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा लगा रहता है. कई वैसे पक्षियों को भी यहां देखा जा सकता है जो किसी विशेष मौसम में दूसरे प्रदेश से यहां आते हैं. कुछ दिन रुकने के बाद फिर वापस लौट जाते हैं. यह झील इसके कारण भी आकर्षण का केंद्र है. यहां साइबेरियन पक्षी, स्लिंग डक, गिज, यूरेशियन गौरैया, नॉर्थन पिनटेल, रोजी पेलिकन, लेजर विसिल डक आदि को आसानी से देखा जा सकता है कैसे पहुंचे कमलदह झील : कमलदह झील बेतला नेशनल पार्क गेट से छह किलोमीटर व किला रोड से करीब दो किलोमीटर की दूरी पर घने जंगलों के बीच अवस्थित है. लातेहार से 85 किमी और मेदिनीनगर से इसकी दूरी 30 किलोमीटर है. मेदिनीनगर या रांची से आने के क्रम में दुबिया खाड़ से सीधा बेतला आना होता है. बरवाडीह रेलवे स्टेशन पर आने के बाद कुटमू मोड़ होते बेतला तक जाना होता है.
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