झारखंड बनने के बाद बनाये गये करोड़ों रुपये के भवन उपयोग के बगैर हो गये जर्जर

झारखंड बनने के बाद बनाये गये करोड़ों रुपये के भवन उपयोग के बगैर हो गये जर्जर

By SHAILESH AMBASHTHA | November 17, 2025 8:47 PM

बेतला़ झारखंड राज्य स्थापना के बाद बरवाडीह प्रखंड के बेतला नेशनल पार्क के आसपास करोड़ों रुपये की लागत से अलग-अलग उद्देश्य की पूर्ति के लिए भवनों का निर्माण कराया गया. लेकिन विडंबना है कि झारखंड स्थापना के 25 वर्ष बीत जाने के बाद भी इन भवनों का उपयोग नहीं हो सका. इतनी लंबी अवधि के दौरान ये भवन जर्जर हो गये. इनमें से कई भवन 20 व 24 सालों से बेकार पड़े हैं. 2003 से 2005 तक इतने भवन बनाये गये कि ऐसा लगने लगा था कि पूरे इलाके में खुशहाली ही खुशहाली होगी. बेतला रोड के कुटमू में स्थित विवाह मंडप : बेतला रोड के किनारे कोर्ट में लाखों रुपये की लागत से विवाह मंडप का निर्माण कराया गया था. उद्देश्य था कि पंचायत के लोगों के लिए वैवाहिक कार्यों सहित अन्य कार्यों में इसका उपयोग किया जायेगा. लेकिन भवन बनने के बाद से बेकार पड़े रहे और धीरे-धीरे जर्जर हो गया. कूटमू कर्मचारी भवन राजस्व कर्मचारियों को बैठने के लिए बनाया गया था. यहां पर एक भवन का निर्माण आज तक पूरा ही नहीं हो सका. दूसरा पूरा हुआ तो वह झाड़ियां की गिरफ्त में आ गया. बेतला रोड के किनारे पंचायत भवन का निर्माण कराया गया था. ताकि पंचायत के सभी कामों को कराया जा सके. लेकिन वहां किसी भी तरह का काम नहीं कराया गया. बेतला का मधु फिनिशिंग प्लांट : आसपास के जंगलों से मधु को इकट्ठा कर फिनिशिंग प्लांट के द्वारा मधु को रिफाइन कर बेचने के लिए मधु फिनिशिंग प्लांट के भवन का निर्माण कराया गया. लाखों रुपये की लागत से भवन का निर्माण तो कर दिया गया लेकिन इसे चलाने को लेकर कोई काम नहीं किया गया. हालांकि, यहां पर मशीन सहित अन्य उपकरण भी लाखों रुपये की लागत से लगाये गये. स्वयं सहायता समूह के माध्यम से चलाने का निर्णय लिया गया. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और भवन जर्जर हो गया. पोखरी में बुनकर शेड व फिनिशिंग प्लांट : बेतला के पोखरी सहित आसपास की इलाकों में सैकड़ो की संख्या में मौजूद बुनकरों की दशा बदलने के लिए पोखरी में करोड़ों रुपये की लागत से बुनकर शेड, हस्तकरघा सहित अन्य वस्त्र के फिनिशिंग के लिए प्लांट लगाने को लेकर भवन का निर्माण कराया गया. लाखों रुपये की लागत से कई उपकरण लगाये गये लेकिन यहां भी सुचारू रूप से काम नहीं हो सका जिसके कारण भवन धीरे-धीरे जर्जर होने की स्थिति में आ गया है.

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