जोश, जुनून व जज्बा है तो खेल है !

मुख्य शहर झुमरीतिलैया में एक अदद स्टेडियम तक नहीं, ठगा महसूस करते हैं खिलाड़ी... कोडरमा :झुमरीतिलैया शहर की आबादी वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार करीब 87 हजार थी, जो अब बढ़ कर करीब डेढ़ लाख के आसपास पहुंचने की उम्मीद है. बीते वर्षों में शहर की जनसंख्या में इजाफा हुआ, मुलभूत सुविधाएं बढ़ीं, विकास […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 29, 2019 1:41 AM

मुख्य शहर झुमरीतिलैया में एक अदद स्टेडियम तक नहीं, ठगा महसूस करते हैं खिलाड़ी

कोडरमा :झुमरीतिलैया शहर की आबादी वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार करीब 87 हजार थी, जो अब बढ़ कर करीब डेढ़ लाख के आसपास पहुंचने की उम्मीद है. बीते वर्षों में शहर की जनसंख्या में इजाफा हुआ, मुलभूत सुविधाएं बढ़ीं, विकास के कार्य हुए, पर एक दिशा में कोई कारगर पहल नहीं हुई, वह है खेल. जी हां, खेल प्रतिभाओं में निखार लाने को लेकर भले ही जनप्रतिनिधि से लेकर अधिकारी तक दावे करते रहें, पर हकीकत यह है कि जिले के मुख्य शहर में खिलाड़ी सुविधाओं को लेकर तरस रहे हैं.

ग्रामीण इलाकों में खिलाड़ियों को खेल मैदान तो किसी तरह नसीब हो जा रहा है, पर शहरी क्षेत्र में एक अच्छे मैदान/स्टेडियम को लेकर खिलाड़ी अरसे से तरस रहे हैं. मांग कर रहे हैं कि शहर में एक अदद स्टेडियम का निर्माण किया जाये, पर यह आज तक संभव नहीं हो पाया. जानकारी के अनुसार शहर में एक भी स्टेडियम नहीं होने के कारण यहां के खिलाड़ियों की प्रतिभा कुंठित होती जा रही है.

दशकों से खेल संगठनों के सदस्य व खेल प्रेमी अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक शहर में एक सर्व सुविधायुक्त स्टेडियम बनाने की गुहार लगाते-लगते थक चुके हैं, लेकिन यह मांग आज तक पूरी नहीं हो सकी है. बताया जाता है कि मंडुआटांड़ मैदान में स्टेडियम बनाने की स्वीकृति मिली थी, इसका शिलान्यास भी हुआ था, परंतु आज उक्त जगह भू माफियाओं की भेंट चढ़ गया. मजबूरी में खेल मैदान के नाम पर एक मात्र सीएच स्कूल का मैदान है जहां क्रिकेट, फुटबॉल से लेकर अन्य खेलों का आयोजन होता है. हालांकि यह मैदान भी खेल के मापदंडों पर खरा नहीं उतरता है.

इसके बावजूद किसी तरह जिला स्तर तक की प्रतियोगिताएं यहां आयोजित की जाती है. जिला स्तर पर एक स्टेडियम बागीटांड़ में है, परंतु वह दूर होने के कारण वहां खेल का आयोजन कम ही होता है. क्रिकेट व फुटबॉल एसोसिएशन के पदाधिकारियों की मानें तो वह स्टेडियम नहीं बस हेलीपैड व परेड का मैदान बनकर रह गया है. ये बताते हैं कि यहां के खिलाड़ियों में प्रतिभा भरी पड़ी है, परंतु मैदान का अभाव के साथ-साथ अन्य सुविधा भी नहीं मिल पाने की वजह से वे आगे नहीं बढ़ पाते हैं. स्टेडियम के अभाव में जिला में चलने वाले विभिन्न खेल संगठन को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है.