JPSC Success Story: सिर से उठा माता-पिता का साया, फिर भी नहीं हारीं हिम्मत, 22 साल की उम्र में रूपम सोनाली को 268वीं रैंक
JPSC Success Story: झारखंड के खूंटी जिले की रूपम सोनाली ने महज 22 साल की उम्र में और वह भी पहले प्रयास में जेपीएससी की परीक्षा पास की है. इन्हें 268वीं रैंक मिली है. सिर से माता-पिता का साया उठ जाने के बाद भी रूपम ने हौसला नहीं खोया. इनकी बड़ी बहन रूपाली सुरभि ने हर कदम पर इनका साथ दिया. आर्थिक तंगी के कारण बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर इन्होंने अपनी पढ़ाई का खर्च निकाला. आखिरकार मेहनत रंग लायी और जेपीएससी की परीक्षा में सफलता का झंडा गाड़ दिया.
JPSC Success Story: खूंटी, चंदन कुमार-झारखंड के खूंटी जिले के अमृतपुर की रूपम सोनाली ने जेपीएससी (झारखंड लोक सेवा आयोग) की परीक्षा में सफलता हासिल की है. इन्हें 268 वीं रैंक मिली है. महज 22 वर्ष की उम्र में पहले ही प्रयास में इन्होंने कामयाबी हासिल कर ली. इनके माता-पिता नहीं हैं. बड़ी बहन रूपाली सुरभि ने इन्हें हौसला दिया. आर्थिक चुनौतियों का सामना करते हुए रूपम ने यह कामयाबी हासिल की है.
ट्यूशन पढ़ाकर निकाला अपनी पढ़ाई का खर्च
रूपम की प्रारंभिक पढ़ाई खूंटी के तोरपा रोड स्थित एसडीए स्कूल से हुई है. स्नातक की पढ़ाई रांची के संत जेवियर स्कूल से की है. महज 11 वर्ष की आयु में इन्होंने अपने पिता सीताराम रविदास को खो दिया. 2018 में माता मीना ग्लोरिया टूटी का भी निधन हो गया. सिर से माता-पिता का साया उठ जाने के बाद भी इन्होंने हिम्मत नहीं हारी और पढ़ाई जारी रखी. आर्थिक कठिनाइयों के कारण अपनी पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए बच्चों को ट्यूशन पढ़ायीं.
ये भी पढ़ें: झारखंड हाईकोर्ट नाराज, रांची के जिला निर्वाचन पदाधिकारी और उपजिला निर्वाचन पदाधिकारी पर लगाया 5 हजार जुर्माना
दीदी रूपाली के हौसले से मिली कामयाबी-रूपम
रूपम बताती हैं कि उन्होंने अपनी तैयारी लॉकडाउन के समय से ही शुरू कर दी थी. वे रोजाना छह घंटे पढ़ाई किया करती थीं. परीक्षा की तैयारी उन्होंने सेल्फ स्टडी और इंटरनेट के मदद से की. उन्होंने इस सफलता का श्रेय अपनी बड़ी बहन रूपाली को दिया है. माता-पिता के निधन के बाद रूपम का सहारा सिर्फ उनकी दीदी ही रहीं. उन्होंने अपनी सफलता अपने स्वर्गीय माता-पिता को समर्पित किया है. उन्होंने कहा कि वे खुद गरीब परिवार से हैं. इसलिए झारखंड के गरीब लोगों की परेशानियां समझती हैं. उनकी सेवा करना प्राथमिकता होगी.
ये भी पढ़ें: झारखंड आदिवासी महोत्सव 2025: हाथों में है स्वाद का जादू तो जीत सकते हैं 50 हजार तक का इनाम
