Jharkhand: गुमला के बीएन जालान कॉलेज की जमीन पर कब्जा करने का प्रयास, प्रबंधन और छात्रों ने किया विरोध

46 वर्षों से बीएन जालान कॉलेज के अधीन में रहे 5.45 एकड़ भूमि पर रैयत के द्वारा अपनी जमीन बताते हुए जेसीबी लगाकर खुदाई कराने से स्टूडेंट्स उग्र हो उठे. सूचना देने के बाद भी प्रशासन के नहीं पहुंचने से आक्रोशित विद्यार्थी व शिक्षक स्वयं कार्य स्थल पहुंचकर खुदाई कार्य बंद करा दिया.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 5, 2022 7:44 PM

Gumla News: 46 वर्षों से बीएन जालान कॉलेज के अधीन में रहे 5.45 एकड़ भूमि पर रैयत के द्वारा अपनी जमीन बताते हुए जेसीबी लगाकर खुदाई कराने से स्टूडेंट्स उग्र हो उठे. सूचना देने के बाद भी प्रशासन के नहीं पहुंचने से आक्रोशित विद्यार्थी व शिक्षक स्वयं कार्य स्थल पहुंचकर खुदाई कार्य बंद करा दिया. इस दौरान दोनों पक्षों में तनाव बढ़ गया और जमकर बहसबाजी हुई. माहौल बिगड़ने की सूचना मिलते ही थानेदार अनिल लिंडा दलबल के साथ कॉलेज पहुंच कर कार्य बंद कराकर मामले को शांत कराया.

क्या है मामला

इस संबंध में प्राचार्य केके पोद्दार ने बताया कि कॉलेज परिसर में बुधु मियां के नाम से 5.45 एकड़ जमीन है. उसने कॉलेज के स्थापना काल 1976 में उक्त जमीन को मौखिक दान दिया था. इसके एवज में ताहिर अली को आदेशपाल की नौकरी मिली. अब नौकरी पूरी कर वर्तमान में पेंशन सहित अन्य लाभ कॉलेज से प्राप्त कर रहे हैं. बुधु मियां के वंशजों की सहमति पर जमीन अधिग्रहण कर मुआवजे के लिए रांची विश्वविद्यालय रांची को 20 दिसंबर 2021 में पत्राचार किया गया था. 26 हजार मुआवजा तय भी की गया था. पर मुआवजे को कम बताते हुए रैयतों द्वारा राशि लेने से इंकार कर दिया गया. अब जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की जा रही है.

प्रखंड का एकलौता कॉलेज है बीएनजे

विद्यार्थियों ने कहा कि सिसई प्रखंड में बीएन जालान इकलौता कॉलेज है. किंतु इसके विकास व कॉलेज को बचाने में सांसद, विधायक कभी रुचि नहीं दिखाये. इस तरह से कॉलेज की जमीन को रैयत अपने कब्जे में लेते जायेंगे. तो एक दिन बीएन जालान कॉलेज की आस्तित्व मिट जायेगा. जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के हजारों विद्यार्थियों को पढ़ाई छोड़नी पड़ेगी. विद्यार्थियों ने कॉलेज की जमीन को बचाने के लिए सांसद, विधायक, जनप्रनिधियों, समाजसेवियों, विद्यार्थियों सहित प्रशासन से पहल करने की अपील की है. वहीं रैयतों ने कहा कि जमीन संबंधित सभी कागजात हमारे पास मौजूद है. जमीन हमारी है.

रिपोर्ट: दुर्जय पासवान

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