श्रीकृष्ण के जन्म व रामचंद्र चरित्र किया गया वर्णन
कुंडहित. कथावाचक सुबल कृष्ण ब्रह्मचारी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्म लीला एवं पुरुषोत्तम रामचंद्र की चरित्र का वर्णन किया.
कुंडहित. पाथरचूड़ गांव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन शुक्रवार को वृंदावन धाम के कथावाचक सुबल कृष्ण ब्रह्मचारी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्म लीला एवं पुरुषोत्तम रामचंद्र की चरित्र का वर्णन किया. कहा श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के श्रवण से मनुष्य के देहीक, दैविक एवं भौतिक तीनों प्रकार के तापों का शमन होता है. भगवान श्रीकृष्णा के जन्म लीला प्रसंग में कहा कि दुराचारी कंस ने वासुदेव एवं देवकी को बंदी बनाकर अपने जेल में रखे थे. क्योंकि देवकी के अष्टम गर्भ में जो जन्म लेंगे वहीं कंस को वध करेंगे. यह जानते हुए दुराचारी कंस ने एक-एक करके सत्यम गर्व तक सभी को मार डाला भगवान श्री कृष्णा शंख चक्र गदा पदधारी रूप में जेल में प्रकट हुए एवं वसुदेव से कहा कि पिता मैं अष्टम गर्भ में जन्म लूंगा. आप मुझे गोकुल में छोड़ कर आयेगे. भगवान की कथा अनुसार वासुदेव ने गोकुल में योसमति मैया के यहां छोड़कर आए, वहां धीरे-धीरे श्री भगवान ने विभिन्न बाल लीला, माखनचोरी लीला पुतना वध, कंस वध सहित विभिन्न दुष्टों को वध कर उद्धार किये. महाराज ने कहा भागवत में महाराज वेदव्यास ने भगवान श्री कृष्णा को सत्यम परम धीमही कहा है. भगवान का स्वरूप सत्य है. भगवान की लीला सत्य है, भगवान का धर्म सत्य है तथा भगवान का जितना पार्षद है वह सभी सत्य है वैसे ही भगवान का लीला भूमि सत्य है. भगवान उस स्थान पर जन्म लेते हैं जो सत्य के रास्ते पर चलता हो. भगवान राम जी के पिता दशरथ जी वे सत्यवादी थे. गोस्वामी तुलसीदास जी अपने मानस में कहते हैं रघुकुल रीति सदा चली आई प्राण जाए पर वचन न जाए, राम चले जाए, सत्य से वचन न जाए प्राण चले जाए लेकिन सत्य से कभी नहीं हटेंगे. राजा दशरथ ने कैकई को वचन दिया मैं तुम्हें वरदान दूंगा. कैकई ने कहा पतिदेव जब समय आएगा तो मैं मांग लूंगी. ऐसे समय पर वरदान मांगी भगवान श्री राम जी को 14 वर्ष वनवास जाना पड़ा और भारत जी को राजा बनाया गया. प्रभु श्री राम के शोक से उनका शरीर ही छूट गया. राम राम कहते-कहते राजा दशरथ गिर पड़े और प्राण निकल गया.
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