Jamshedpur News : मिर्गी दौरा पड़े तो इलाज कराएं, झाड़-फूंक के चक्कर में न पड़ें : डॉ एमएन सिंह

Jamshedpur News : मिर्गी एक दिमागी बीमारी है, इसका इलाज संभव है. इसे भूत प्रेत का साया मानना गलत है. मिर्गी में 70 प्रतिशत मरीज दवा से ठीक हो सकते हैं.

By RAJESH SINGH | November 18, 2025 1:22 AM

दवा से 70 प्रतिशत मरीज ठीक हो सकते हैं

Jamshedpur News :

मिर्गी एक दिमागी बीमारी है, इसका इलाज संभव है. इसे भूत प्रेत का साया मानना गलत है. मिर्गी में 70 प्रतिशत मरीज दवा से ठीक हो सकते हैं. 25 प्रतिशत को कुछ ज्यादा दिनों तक दवा खाने की जरूरत होती है, वहीं पांच प्रतिशत को सर्जरी की जरूरत होती है. उक्त बातें विश्व मिर्गी दिवस के अवसर पर सोमवार को साकची स्थित न्यूरो सेंटर में आयोजित एक कार्यक्रम में उपस्थित न्यूरोलॉजिस्ट डॉ एमएन सिंह ने कही. उन्होंने कहा कि शहर की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे ज्यादा मिर्गी के मरीज मिलते हैं. शहर में अगर 100 में एक मरीज मिलता है, तो वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में 100 में दो मरीज मिलते हैं. हर उम्र के लोगों को यह बीमारी हो सकती है. ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा मिर्गी के मरीज मिलने का कारण वहां अधिकतर प्रसव घरों में होता है. प्रसव के दौरान ऑक्सीजन की कमी होने के कारण यह बीमारी होती है, इसके साथ ही अगर किसी प्रकार का संक्रमण होता है, तो उससे भी बीमारी होती है. ग्रामीण क्षेत्रों में इंफेक्शन ज्यादा होता है. इसके प्रति लोग जागरूक भी नहीं रहते हैं. इसके साथ ही बीमारी होने पर झाड़-फूंक के चक्कर में आ जाते हैं. जिससे परेशानी बढ़ जाती है. इसको लेकर उपस्थित लोगों को मिर्गी बीमारी के प्रति जागरूक किया गया. इस दौरान केक काटा गया.

क्या है मिर्गी बीमारी

यह दिमागी बीमारी है. अचानक असामान्य विद्युत तरंगे उत्पन्न होने से कुछ समय के लिए दिमाग काम करना बंद कर देता है. वहीं शरीर के कई हिस्सों में झटके लगते हैं. झटका 5 से 6 मिनट तक का रहता है. मरीज को ज्यादा देर तक झटका आये तो जल्द अस्पताल ले जाने की जरूरत है.

मिर्गी के कारण-

दिमाग विकसित नहीं होना, सिर में चोट लगने और जन्म के समय दिमाग को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलना.

बीमारी की पहचान-

चेहरे का टेढ़ा होना, गर्दन और आंख का एक ओर घूम जाना, अकड़न, झटके, एक हाथ या पांव में जकड़न, बोलने में अटकना.

क्या है इलाज :

पहचान के लिए एमआरआइ, इइजी, सिटी स्कैन समेत कई तरह की जांच की जाती है. उसके बाद उसका इलाज किया जाता है.

प्राथमिक चिकित्सा-

जूता- मोजा और रूमाल न सुंघाएं, रोगी को साफ-सुथरे स्थान पर लेटाकर उसके कपड़ों को ढीला कर दें, पेट के बल लिटा दें, भीड़ न लगायें, मुंह से निकलते लार को साफ कर दें, दौरे के बीच हाथ-पांव को दबाकर झटका रोकने की कोशिश न करें, मुंह में चम्मच न डालें.

रोगी क्या न करें :

– दवा का लगातार सेवन करें, बीच में न छोड़ें -भीड़ में वाहन न चलाएं-भारी मशीन पर काम न करें-शराब का सेवन न करें-उपवास न करें

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