Jamshedpur News : एनकाउंटर होते ही शहरवासियों को याद आने लगते हैं पूर्व एसपी डॉ अजय कुमार
Jamshedpur News : जब भी शहर में एनकाउंटर की चर्चा होती तो नि:संदेह जमशेदपुर के एसपी रहे डॉ अजय कुमार का नाम सभी की जुबां पर आ जाता है. एनकाउंटर क्या होता है, यह डॉ अजय कुमार ने जमशेदपुर पुलिस को सिखाने का काम किया था.
डॉ अजय कुमार के कार्यकाल में दर्जनों अपराधियों का हुआ था एनकाउंटर
कईयों का पता ही नहीं चला, शहर छोड़ कर चले गये थे कई सफेदपोश
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जब भी शहर में एनकाउंटर की चर्चा होती तो नि:संदेह जमशेदपुर के एसपी रहे डॉ अजय कुमार का नाम सभी की जुबां पर आ जाता है. एनकाउंटर क्या होता है, यह डॉ अजय कुमार ने जमशेदपुर पुलिस को सिखाने का काम किया था. उस वक्त उनकी टीम में एएसपी नीरज सिन्हा, जीपी सिन्हा, संजीव सिंह, जेड रहमान, कन्हैया उपाध्याय समेत अन्य कई तेज तर्रार पुलिस पदाधिकारी थे. एक बार डॉ अजय कुमार ने किसी अपराधी को टारगेट में ले लिया, तो उसे अगले कुछ दिनों में उनकी टीम कहीं से भी ढूंढकर मुठभेड़ में मार गिराने का काम करती थी. डॉ अजय कुमार 1994 से 1996 के बीच जमशेदपुर के एसपी रहे. इस दौरान बेहतर पुलिसिंग का नमूना जमशेदपुर के लोगों ने देखा. अपराधियों में उनके नाम का इस कदर खौफ था कि सभी अपराधी भूमिगत हो गये थे. उस समय के कुख्यात कई अपराधियों ने तो शहर से ही तौबा करने में भलाई समझी थी. कानून का राज कायम करने की वजह से यहां के लोगों ने उन्हें सिर आंखों पर बिठाया था.जमशेदपुर के एसपी डॉ अजय कुमार के कार्यकाल में स्क्रैप के कारोबार को लेकर हमेशा गैंगवार की स्थिति बनी रहती थी. आपराधिक गिरोह के मनोबल को तोड़ने के लिए पुलिस समय-समय पर कई अपराधियों को मुठभेड़ में मार गिराया. इससे अपराधियों में दहशत कायम रहा. एसपी डॉ अजय कुमार ने अपने कार्यकाल में सबसे पहले रंजन आहूजा, फिर विमल लोहार, इशा, नरेंद्र बहादुर सिंह, श्रवण कुमार, सरफराज प्रमुख हैं. गरमनाला गिरोह से आदित्यपुर निवासी नरेंद्र बहादुर सिंह का जुड़ाव था. मुठभेड़ में मारे जाने के बावजूद उसका शव नहीं मिल सका था. परसुडीह के ओमियो शर्मा उर्फ ओमी, राजेश पगला सुंदरनगर में मारे गये थे.
दोमुहानी में मारे गए थे अखिलेश सिंह के गुर्गे
एसपी अरुण उरांव के कार्यकाल में दो जुलाई 2004 को अखिलेश सिंह गिरोह के राजीव दुबे, मुन्ना सिंह, रेंबो पूत और बबलू प्रसाद को सोनारी मरीन ड्राइव दोमुहानी में पुलिस ने मार गिराया था. उस समय अखिलेश सिंह गिरोह की लोगों में दहशत थी. इसके पहले एसपी परवेज हयात के कार्यकाल में पांच जनवरी 1995 को परसुडीह-तिलकागढ़ में वीर सिंह बोदरा और 1994 में बागबेड़ा कॉलोनी निवासी संजय ओझा को कीताडीह में पुलिस ने मार गिराया था. नंदू चोर जुगसलाई मकदम में मारा गया था. इसके पहले अनवर समेत कई अपराधी मारे गये थे. एसपी आशीष बत्रा के कार्यकाल 2006 में कदमा में दुधई यादव, 2007 में कदमा इसीसी फ्लैट में बड़ा निजाम, पटमदा में सुनील मांझी को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया था. इससे पहले 24 जनवरी 2006 में दुधई यादव का सहयोगी नसीम बिष्टुपुर में मारा गया था.एसएसपी अखिलेश कुमार झा के कार्यकाल में बस स्टैंड में हुई थी मुठभेड़
एसएसपी नवीन कुमार सिंह के कार्यकाल में परसुडीह और सुंदरनगर का आंतक नेपाल लोहार और अखिलेश सिंह का गुर्गा रज्जे सिदगोड़ा में मारा गया था. एसएसपी अखिलेश कुमार झा के कार्यकाल में मानगो बस स्टैंड परिसर में पुलिस मुठभेड़ में पांच जुलाई 2011 को अखिलेश सिंह गिरोह के तीन गुर्गे बिहार के अपराधी गुड्डू सिंह, विकास ओझा और मानगो के निलेश कुमार मारे गये थे. एसएसपी अमोल होमकर और उनकी टीम ने बिहार के सीवान जिले के मोस्ट वांटेड माया भगत उर्फ लुल्हा को उलीडीह में 16 अप्रैल 2014 को मार गिराया था.वीजी गोपाल, टीए गब्बा, एसएन सहाय समेत कई अधिकारी मारे गये वर्चस्व में
जमशेदपुर में अपराधियों ने अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए टाटा स्टील के अधिकारी समेत कई कारोबारी और ट्रांसपोर्टरों की हत्या कर दी. 90 के दशक से अब तक टाटा स्टील के अधिकारी टीए गब्बा, टाटा मोटर्स के अधिकारी एसएन सहाय, ट्रांसपोर्टर टीपी सिंह, समाजवादी नेता ठाकुर जी पाठक, कारोबारी ओम प्रकाश काबरा, जेलर उमाशंकर पांडेय, डॉक्टर प्रभात कुमार, श्रीलेदर्स के मालिक आशीष डे, बी देबुका, हरि सावा, नीलडीह में टाटा मोटर्स के ब्रजेश सहाय और घोड़ाबांधा में डॉ समेत कई लोगों की हत्या कर दी गयी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
