Tata Steel के जमशेदपुर प्लांट से दो पहिया वाहनों के सुरक्षित बाहर निकलने के लिए बनेगा अलग रास्ता

टाटा स्टील जमशेदपुर प्लांट से दो पहिया वाहन सवार कर्मियों को सुरक्षित बाहर निकलने के लिए एक अलग रास्ता बनेगा. एमडी ऑनलाइन कार्यक्रम के दौरान टीवी नरेंद्रन ने ये बातें कही. कहा कि किसी कर्मचारी के समक्ष आपात स्थिति उत्पन्न होती है और उन्हें प्लांट से बाहर निकलना है, तो इसके लिए पहल की जायेगी.

By Samir Ranjan | October 4, 2022 8:26 PM

Jharkhand News: विश्व के किसी भी स्टील प्लांट (Steel Plant) के अंदर दोपहिया वाहनों का परिचालन नहीं होता है. टाटा स्टील (Tata Steel) का जमशेदपुर प्लांट एकमात्र कंपनी है, जहां शून्य दुर्घटना के लक्ष्य को हासिल करने के लिए ही प्लांट के अंदर दोपहिया एवं भारी वाहनों के परिचालन के लिए अलग-अलग समय तय निर्धारित किये गये हैं. इस बात की जानकारी टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेंद्रन (TV Narendran) ने एमडी ऑनलाइन कार्यक्रम (MD Online Program) के दौरान कहीं.

जमशेदपुर प्लांट में दो पहिया वाहनों के लिए एक अलग रास्ता बनाने पर हो रहा विचार

टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेंद्रन ने कहा कि हालांकि किसी कर्मचारी के समक्ष आपात स्थिति उत्पन्न होती है और उन्हें प्लांट से बाहर निकलना है, तो इसके लिए पहल की जायेगी. उन्होंने कहा कि प्लांट के अंदर से सुरक्षित बाहर निकलने के लिए एक अलग रास्ता बनाने पर विचार हो रहा है.

एमडी ऑनलाइन कार्यक्रम में उठा था मामला

बता दें कि एमडी ऑनलाइन कार्यक्रम में एक कर्मचारी ने दोपहिया वाहनों के परिचालन का मामला उठाया था. कर्मचारी का कहना था कि प्लांट के अंदर दोपहिया व भारी वाहनों के परिचालन के लिए अलग-अलग समय निर्धारित है. किसी आपात स्थिति में प्लांट से बाहर निकलने में कर्मचारियों को परेशानी होती है. अपने संबोधन में एमडी टीवी नरेंद्रन ने कहा कि शून्य दुर्घटना के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि स्थानीय स्तर पर सभी विभाग के अधिकारी, कमेटी मेंबर इसकी जिम्मेदारी लें. सेफ्टी में कहां और बेहतर काम करने की आवश्यकता है. इस पर काम करने की आवश्यकता है.

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कलिंगनगर के कैंटीन का खाना चार गुणा महंगा

वहीं, एमडी ऑनलाइन के दौरान हुए सवाल-जवाब के दौर में कलिंगनगर के कर्मचारी राजवीर ने सवाल किया कि जमशेदपुर प्लांट की तुलना में कलिंगनगर के कैंटीन का खाना चार गुना महंगा है.  एमडी ने केपीओ के वाइस प्रेसिडेंट (ऑपरेशन) राजीव कुमार से इस दिशा में पहल करते हुए समाधान निकालने को कहा. एक कर्मचारी ने  क्रेन ग्रुप के लिए ली जाने वाली परीक्षा में अंग्रेजी में पूछे जाने वाले सवालों को कठिन बताते हुए हिंदी में पूछे जाने की बात कहीं.

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