किसानों के लिए वरदान साबित हो रही तीन नयी धान की किस्म
उपराऊं भूमि चावल अनुसंधान केंद्र हजारीबाग ने की है विकसित
हजारीबाग. उपराऊं भूमि चावल अनुसंधान केंद्र हजारीबाग द्वारा विकसित धान की तीन नयी प्रजाति सीआर-320, सीआर-408 और सीआर-214 किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है. इन किस्मों को केंद्रीय प्रजाति विमोचन समिति ने वर्ष 2022 में सत्यापित किया था. इसके बाद वर्ष 2023 में प्रयोग के तौर पर कुछ किसानों को एक से डेढ़ किलो बीज दिये गये थे. वर्ष 2024 में इन नयी किस्मों का व्यापक स्तर पर वितरण किया गया. इस वर्ष इन धानों से बेहतर पैदावार की उम्मीद जतायी जा रही है. चावल अनुसंधान केंद्र ने अब तक 15 से अधिक नयी धान की प्रजातियां विकसित की है, जिनसे किसानों को कम लागत में अधिक उपज मिल रही है. उपराऊं भूमि अनुसंधान केंद्र के डॉ शिवमंगल ने बताया कि सीआर 320 धान की किस्म से 64 से 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर धान की उपज होती है. इसी तरह सीआर 804 से 45 क्विंटल और सीआर 214 से 42 क्विंटल प्रति हेक्टेयर धान की उपज पिछले साल हुई है. उन्होंने बताया कि यह धान झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार और ओड़िसा राज्य को ध्यान में रखकर विकसित किया गया है. नयी विकसित किस्मों की फसल का निरीक्षण करने के लिए पंचवर्षीय समीक्षा समिति की टीम ने खेतों का दौरा किया. टीम में रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विज्ञान केंद्र के डॉ एआर शर्मा, आंध्र प्रदेश अचार्य एनजी रंगा कृषि अनुसंधान केंद्र के डॉ पीवी सत्यनारायण, कटक कृषि अनुसंधान केंद्र के प्रताप भट्टाचार्य और डॉ विश्वजीत मंडल शामिल थे. निरीक्षण के दौरान डॉ पीवी सत्यनारायण ने आंध्र प्रदेश में इन बीजों को लगाने की इच्छा जतायी. टीम ने गोरियाकरमा कृषि अनुसंधान केंद्र और कोडरमा कृषि विज्ञान केंद्र का भी दौरा किया तथा अनुसंधान कार्यों की सराहना की.
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