बभनबै पहाड़ का अस्तित्व खतरे में
दूसरे हिस्से में भी हो रहा भूस्खलन
हजारीबाग. रांची-पटना रोड से कुछ दूरी पर स्थित बभनबै पहाड़ का अस्तित्व खतरे में है. बरसात में यहां आये दिन भूस्खलन हो रहा है, जिससे पत्थर और मिट्टी नीचे गिरने लगी है. 11 अगस्त की सुबह मुकुंदगंज-भेलवारा मार्ग से सटे पहाड़ का एक हिस्सा धंस गया. वहीं, बभनी गांव की ओर भी भूस्खलन हो रहा है, जिससे आसपास के लोग दहशत में हैं. करीब 25 साल पहले बभनी गांव में दो क्रशर संचालित थे, जिनके लिए पहाड़ से पत्थर निकाले जाते थे. लंबे समय तक तराई क्षेत्र में जमीन के अंदर से पत्थर निकालने के कारण पहाड़ की जड़ में बड़े गड्ढे बन गये, जिनका आकार लगभग 1000 वर्ग फीट और गहराई 30 फीट से अधिक है. इनमें सालभर बरसात का पानी भरा रहता है, जिसका उपयोग ग्रामीण नहाने और कपड़ा साफ करने में करते हैं. लगातार पानी भरने से पहाड़ का निचला हिस्सा कमजोर और ऊपरी हिस्सा खोखला हो गया है. गांव के विजेंद्र राम, राजकुमार राम, उदय कुमार समेत कई बुजुर्गों ने बताया कि क्रशर संचालन के दौरान डायनामाइट से पत्थर तोड़ने पर टुकड़े उनके मकानों पर गिरते थे. कई बार विरोध के बावजूद काम जारी रहा. बाद में न्यायालय के आदेश से सभी क्रशर के लीज रद्द कर दिये गये और पत्थर तोड़ने का काम बंद हुआ, लेकिन बने गड्ढों को भरा नहीं गया.
करीब तीन किमी के दायरे में फैला है पहाड़
करीब तीन किलोमीटर में फैला बभनबै पहाड़ वन विभाग के अंतर्गत है. बोचो और बभनबै गांव के लोग पेड़-पौधे काटने वालों पर दंडात्मक कार्रवाई करते हैं, जिससे यहां हरियाली बनी हुई है. अधिक हरियाली वाले हिस्सों में वन्य प्राणियों का बसेरा भी होने लगा है. ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग पहाड़ की देखरेख पर ध्यान नहीं दे रहा है.पर्यटन की संभावना : स्थानीय लोगों का मानना है कि राज्य सरकार, जिला प्रशासन और वन विभाग के संयुक्त प्रयास से बभनबै पहाड़ को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है. इससे पर्यावरण संरक्षण के साथ पर्यटकों का आकर्षण बढ़ेगा और ग्रामीणों को रोजगार के अवसर मिलेंगे. ग्रामीणों ने पहाड़ की तलहटी में बने गड्ढों को भरने, भूस्खलन रोकने के उपाय किये जाने व पहाड़ की प्राकृतिक सुंदरता को संरक्षित कर पर्यटन को बढ़ावा दिये जाने का आग्रह किया है. ताकि यह क्षेत्र खतरे से सुरक्षित रहे.
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