Lockdown Effect : स्कूलों के ऑनलाइन क्लास पर उठने लगे सवाल, डॉक्टरों की सलाह व अभिभावकों में रोष, जानें क्या है पूरा मामला

हजारीबाग में 50 ऐसे स्कूल हैं, जो ऑनलाइन पढ़ाई करा रहे हैं. लॉकडाउन के कारण अधिकांश स्कूलों में नया सत्र शुरू नहीं हो सका. बच्चों को पढ़ाई का नुकसान न हो, इसके नाम पर करीब डेढ माह से ऑनलाइन कक्षाएं चल रही है. अधिकांश स्कूलों ने ऑनलाइन पढाई के नाम पर मोबाइल के छोटे से स्क्रीन को ही क्लास बना डाला है. इससे बच्चों की आंखों और सेहत पर इसका गंभीर असर पड़ रहा है. विद्यार्थियों में रीड की हड्डी और गर्दन के हिस्से में दर्द की परेशानी की समस्या बढ़ी है.

By Prabhat Khabar Print Desk | May 13, 2020 3:53 PM

हजारीबाग : लॉकडाउन के कारण शैक्षणिक समेत अन्य गतिविधियां बंद है. इस बीच निजी स्कूलों में कोर्स पूरा करने की जिद बच्चों पर भारी पड रही है. अधिकांश स्कूलों ने ऑनलाइन पढाई के नाम पर मोबाइल के छोटे से स्क्रीन को ही क्लास बना डाला है. इससे बच्चों की आंखों और सेहत पर इसका गंभीर असर पड़ रहा है. विद्यार्थियों में रीड की हड्डी और गर्दन के हिस्से में दर्द की परेशानी की समस्या बढ़ी है. अभिभावक इसे सिर्फ स्कूलों का खानापूर्ति बता रहे हैं. वहीं, कई डॉक्टरों ने मोबाइल को लगातार देखने से मना करते हुए कई सलाह भी दी है. पढ़िए जमाउद्दीन की रिपोर्ट.

ऑनलाइन शिक्षा को लेकर स्कूल शिक्षा विभाग की कोई गाइडलाइन नहीं होने से स्कूलों पर मनमानी का आरोप लग रहे हैं. हजारीबाग में 50 ऐसे स्कूल हैं, जो ऑनलाइन पढ़ाई करा रहे हैं. लॉकडाउन के कारण अधिकांश स्कूलों में नया सत्र शुरू नहीं हो सका. बच्चों को पढ़ाई का नुकसान न हो, इसके नाम पर करीब डेढ माह से ऑनलाइन कक्षाएं चल रही है. हर क्लास के ग्रुप बनाकर स्कूल होमवर्क बच्चों तक पहुंचा रहे हैं.

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छोटे स्क्रीन पर पिछले कई दिनों से घंटों कक्षा का कोर्स पूरा करने में बच्चों की आंखों पर असर पड़ने लगा है. कई अभिभावक 15 दिन ऑनलाइन कक्षा के बाद ग्रुप से लेफ्ट हो रहे हैं. मोबाइल के जरिये लगातार पढ़ाई से आंखों में दर्द होने लगता है. अभिभावकों ने बताया कि स्कूल की ओर से सिर्फ खानापूर्ति हो रही है. मोबाइल पर किताबों के कई पेज और वीडियो भेज दिये जाते हैं. कई अभिभावक बाल आयोग से भी इसकी शिकायत का मन बना रहे हैं.

अभिभावकों की परेशानी व छात्रों के ऑनलाइन पढ़ाई से होनेवाली समस्या को लेकर कई डॉक्टरों से बात की गयी. सभी डॉक्टरों ने मोबाइल को लगातार नहीं देखने की सलाह दी, वहीं कंप्यूटर विजन सिंड्रोम की समस्या से बचने की भी सलाह दे रहे हैं.

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हर 45 मिनट पर विद्यार्थी ब्रेक लें

नेत्र विशेषज्ञ (Eye Specialist) डॉ उमेश प्रसाद कहते हैं कि लॉकडाउन के दरम्यान बच्चे ज्यादा समय मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर के सामने समय बिता रहे हैं. कई बच्चों के पास इतनी लंबी सिटिंग के हिसाब से अच्छी कुर्सी भी उपलब्ध नहीं होती है. ऐसे में कंप्यूटर विजन सिंड्रोम की समस्या देखने को मिल रही है. उन्हें आंखों में ड्रायनेस, इचिंग, रेडनेस, आंखों में जलन जैसी समस्याएं होती है. विद्यार्थी अगर मोबाइल पर पढाई कर रहे हैं, तो ऐसे में एक चीज का ध्यान जरूरी रखना चाहिए कि हर 45 मिनट में ब्रेक लें. लगातार स्क्रीन पर नहीं देखें. स्क्रीन आंखों से 15 डिग्री नीचे की तरह होनी चाहिए और 2 से 3 फीट आंखों से दूर होनी चाहिए. मोबाइल और लैपटॉप का इस्तेमाल कम रोशनी में न करें.

एक ही पोजिशन में न बैठे

डॉ एपी सिंह ने बताया कि लगातार मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर के सामने एक ही पोजिशन में बैठे रहने से विद्यार्थियों को रीड की हड्डी और गर्दन के हिस्से में परेशानी की समस्या आ रही है. मोबाइल का प्रयोग करते हुए गर्दन को ज्यादा देर नीचे झुका के रखने के कारण सर का पूरा भार गर्दन पर पड़ता है. मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते वक्त एक ही पोजिशन में नहीं बैठना चाहिए.

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मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल से बचे

फिजियोथेरेपिस्ट डॉ नीरज सिंह उज्जैन ने कहा कि मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर के ज्यादा इस्तेमाल से बचना चाहिए. जब फोन चार्जिंग में लगा हो या बैटरी कम चार्ज हो उस दौरान इसे इस्तेमाल न करें. लैपटॉप चार्ज हो रहा हो, तो उस दौरान उसे अपने पैरों पर रखकर पढ़ाई न करें. गर्म होते लैपटॉप और मोबाइल को अपने शरीर से दूर रखें.

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